क्यों होता है ये ..
आंसू छलक आते है
न जाने क्यों ..
ऐसे ही आखो में तैरने लगते है ..
मुझे किसी ने कहा था
कभी जीवन में आंसू न निकालना
जीते रहना ..लढते रहना
जबतक लक्ष्य को नही पाये
तबतक जिंदगी से न हारना
मै भी बड़ा कठोर बन गया
ह्रदय को विशाल की जगह मजबूत कर दिया
हजारो भावनाओ को क़त्ल कर दिया
जिंदगी को कई जगह हरा दिया..
इतना कठोर हो गया
के आखे पत्थर सी हो गयी..
पर न जाने क्यों ऐसा क्यों होता है ...
आजकल एक हवा का झोका भी मुझे रुला देता है ..
Tuesday, April 13, 2010
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आजकल एक हवा का झोका भी मुझे रुला देता है..."
ReplyDeleteसुन्दर पँक्तियाँ......."
एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब
ReplyDeleteग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
ReplyDeleteअच्छा लिखने के लिए बस लिखते रहना चाहिए. बहुत सुंदर दोस्त. लिखते रहिये
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