जीवन में कैसी देरी है ,
जीवन में कैसी जल्दी है ,
जीवन में क्या खो जाना है ,
जीवन में क्या मिल जाना है ,
मेरी आँखों से तुम देखो
जग जाना और पहचाना है.
नहीं अकेले इस सागर में
लहर-लहर का मिल जाना है.
मेरे शब्द उठा कर देखो
शब्द गीत हर हो जाना है.
सागर अपने मन -दर्पण में
चाँद समेटे रख सकता है ,
और हवाओं का ये आँचल
सुमन झोली में भर सकता है ,
Monday, April 12, 2010
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