Monday, April 12, 2010

जीवन में कैसी देरी है ,


जीवन में कैसी जल्दी है ,

जीवन में क्या खो जाना है ,

जीवन में क्या मिल जाना है ,

मेरी आँखों से तुम देखो

जग जाना और पहचाना है.

नहीं अकेले इस सागर में

लहर-लहर का मिल जाना है.

मेरे शब्द उठा कर देखो

शब्द गीत हर हो जाना है.

सागर अपने मन -दर्पण में

चाँद समेटे रख सकता है ,

और हवाओं का ये आँचल

सुमन झोली में भर सकता है ,

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