Sunday, April 18, 2010

तुम ही तुम बसे हो सर्वस्व में !


तुम भी तुम हो और मैं भी तुम !

तुम्हीं से जीवन.. मरण तुम्हीं से !

साँसों में बसा वो नाम तुम्हीं हो !

सुबह का पहला ख्वाब तुम्हीं हो !

साँझ की पहली याद तुम्हीं हो !

पहले हो रब से मेरा रब तुम्हीं हो !
जाओ दिल से तो याद करूँ तुम्हें !
न जाती दिल से वो याद तुम्हीं हो !


 मेरे हर दिन, हर शाम हर रात हर ख्वाब मे नाम तुम्हारा है....

मझधार बन गया मेरा अब माझी,..... क्योंकि दूर किनारा है.......

नही फ़िक्र मुझे ना ही है ज़रूरत किसी की झूंठी हमदर्दी की......

मेरे पास अब भी जीने को तेरी यादों का सहारा है....................

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