Tuesday, April 20, 2010

दुनिया की कोई कृति त्रुटिरहित नहीं, उसमें बेहतरी की संभावना होती है। हर दिन हमारी नीयत में यदि हम विनम्रता चाहते हैं तो ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे कार्य के दिन- ईमानदारी हमें हमारे कार्य में बख्शें, हर दिन उन्नति के नए शिखर पर पहुँच, हम स्वयं का परिवार का और समाज-राष्ट्र का नाम रोशन करें। एक वादा स्वयं से करें कि चाहे हम झाडू ही क्यों न लगाएँ, पर वह पिकासो की पेटिंग की तरह अद्वितीय हो।

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