हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पर दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमाँ लेकिन फिर भी कम निकले।
सचमुच हम इंसान कभी भी अपनी स्थिति से संतुष्ट नहीं हो सकते। जितनी भी खुशियाँ हमारी झोली में डाल दी जाएँ, हमें वे नाकाफी लगती हैं।
हर दिन दिल में नए अरमान हिचकोले लेने लगते हैं। हमारी बस यही तमन्ना होती है कि जीवन की हर खुशी पर हमारा कब्जा हो। कोई भी पहलू किसी भी रूप में फीका न रह जाए। जिंदगी में तमाम तरह की मिठास और हर प्रकार के रंग भरने के लिए हम बेताब हो जाते हैं
Saturday, April 17, 2010
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bahut khub
ReplyDeletebahut khub
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/