शुष्क धरती की प्यास बुझाने को ,
पानी की एक बूंद ही काफी है !
किसी की जिंदगी बसाने को ,
प्यार भरी एक साँस ही काफी है !
जीवन के मोती बनाती है सीप बहुत ,
उसे पानी की एक बूंद ही काफी है !
जीते हैं जो हर वक़्त सडको पर नंगे भूखे ,
उनको तो एक जून की रोटी ही काफी है !
जीते हैं जो हर रोज औरों के लिए,
उनका एक पल ही जीना काफी है !
जो मरता है हर पल धरा बचाने को ,
उसे खुद को एक कण ही काफी है !
सूख, उजड़ रही है मानवता यहाँ ,
इसे बचाने को एक 'चीर' ही काफी है !
Sunday, April 11, 2010
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