सीप में मोती पलते हैं ज्यूँ , रख सीने में दर्द सजाकर
रुसवा अपना प्यार न करना, पागल अपने अश्क बहा कर
घोर निराशा के अंधियारे, घेरें जब-जब तुझको, ऐ दिल
रौशन राहें कर ले अपनी, आशाओं की शम्मा जला कर
आँसू एक न ज़ाया करना, ये दौलत अनमोल है प्यारे
दिल के जख़्मों को सीना है, इस पानी को तार बनाकर
श्रद्धा और विश्वास ही तो हैं, इन्सानी ...जीवन के जौहर
Sunday, April 18, 2010
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