आगे बढ़ पथिक तेरी रौशन है राहें ,
दूर कहीं बुला रहीं है फ़िर वही बाहें ,
रुकना क्या अब झुकना क्या ,
पर्वत आए या दरिया या मिले काटे मुझको
.
सांसे तेज और पैर लथपथ तो क्या ,
जीवन डगर पर पद चिह्न छोड़ते जाएंगे ,
पाएंगे जो पाना है जाएँगे जहाँ जाना है ,
अब ख़ुद पे भरोसा है मुझको
.
दिल के अरमान जगे हैं हम भी आगये आगे है ,
बांटने होठों की हँसी सबको ,
रात लम्बी तो क्या और काली तो क्या ,
बुला रहा है कल का सूरज मुझको
.
रास्ता लंबा तो क्या काम ज्यादा है ,
जिंदगी छोटी है बड़ा इरादा है ,
अब बैठने की फुर्सत कहाँ है मुझको ,
कैद करके नज़ारे उनको दिल में बसाके ,
बढ़ता हूँ आगे हीं आगे करता सलाम सबको ,
पकड़ के हाथ मेरा कुछ देर साथ चलो यारो ,
पर अब रुकने के लिए ना कहो मुझको
पाएंगे जो पाना है जाएँगे जहाँ जाना है ,
Sunday, January 24, 2010
Monday, January 18, 2010
मै करता हू अब ...तुम्हारी पूजा क्योकी तुम हो मेरा ज्ञान
अब न रहना दूर मुझसे ॥न रखना मुझे अपने से दूर दूजा जान
तुम ही मेरी सम्पूर्णता मै करू तुम्हारा ...तुम भी कर लो मेरा ध्यान
तुम ही ममता तुम ही मेरी मित्रता जीसे पा लिया
तुम न मन हो ,न अहंकार न मै पुरुष ,न तुम स्त्री
मै चेतन ...तुम चेतना अब हुवे है एकाकार मुझे धन्य कर गया
हे धन्या ...तेरा मेरे लीये ...यह निश्छल अगम अगोचर
के जैसा सात्विक अमर प्यार तुम हो मेरा
अब न रहना दूर मुझसे ॥न रखना मुझे अपने से दूर दूजा जान
तुम ही मेरी सम्पूर्णता मै करू तुम्हारा ...तुम भी कर लो मेरा ध्यान
तुम ही ममता तुम ही मेरी मित्रता जीसे पा लिया
तुम न मन हो ,न अहंकार न मै पुरुष ,न तुम स्त्री
मै चेतन ...तुम चेतना अब हुवे है एकाकार मुझे धन्य कर गया
हे धन्या ...तेरा मेरे लीये ...यह निश्छल अगम अगोचर
के जैसा सात्विक अमर प्यार तुम हो मेरा
Monday, January 11, 2010
Sunday, January 10, 2010
MERI PYARI GUDU
अतीत के गलियारों में से अक्सर आवाजें आती हैं बचपन की शरारतों की। हमारी स्मृति में धुँधली सी पर यादगार तस्वीरें होती हैं अपने बचपन की।
भाई-बहन की उन शरारतों की, जिसे याद करते ही चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है और खुल जाती है दास्ताँ भाई-बहन के प्यार की।
भाई-बहन का नाता प्रेम व स्नेह का होता है। इस रिश्ते में हमारा बचपन कैद होता है, जिसे हमने बेफिक्र होकर पूरे आनंद से जिया है। हालाँकि आज हम रिश्तों के कई पायदानों पर चढ़ गए हैं परंतु हम अपना सुनहरा बचपन नहीं भूले हैं।
आधुनिकता की आँधी की मार झेलकर भी यह रिश्ता आज भी उतना ही पाक़ है। आज भी भाई-बहन में उतनी आत्मीयता और अपनापन है कि एक का दर्द दूसरे को महसूस होता है। दोनों एक-दूसरे के दु:ख-दर्द व खुशियों में शरीक होकर उन्हें सहारा देते हैं और ऐसा होना भी चाहिए।
रिश्ता आत्मीयता का रिश्ता होता है जिसे दिल से जिया जाता है। बचपन तो भाई-बहन की नोक-झोंक व शरारतों में गुजर जाता है।
भाई-बहन के रिश्ते की अहमियत तो हमें तब पता लगती है जब हम युवा होते हैं। जब हमारे बच्चे होते हैं। उनकी शरारतें हमें फिर से अपने बचपन में ले जाती हैं।
हर रक्षाबंधन पर बहन, भाई का बेसब्री से इंतजार करती है और भाई भी मीलों के फासले तय करके अपनी बहन को लेने जाता है। यही नहीं हर त्योहार पर बधाइयाँ देकर एक-दूजे के सुखी जीवन की कामना करते हैं।
माँ-बाप की डॉट-फटकार से अपने प्यारे भाई को बचाना हो या चुपके-चुपके बहन को कहीं घुमाने ले जाना हो... यह सब भाई-बहन को बखूबी आता है।
बचपन में हमने भी बहुत सारे बहाने किए, माँ-बाप की डॉट भी खाई पर वही किया जो हमें पसंद था। हमारी उन शरारतों में भी एक प्यार छुपा था, जिसकी तलाश आज भी हम करते हैं।
आधुनिकता की आँधी की मार झेलकर भी यह रिश्ता आज भी उतना ही पाक़ है। आज भी भाई-बहन में उतनी आत्मीयता और अपनापन है कि एक का दर्द दूसरे को महसूस होता है। दोनों एक-दूसरे के दु:ख-दर्द व खुशियों में शरीक होकर उन्हें सहारा देते हैं और ऐसा होना भी चाहिए।
यह प्यार ताउम्र बना रहे और भाई-बहन एक-दूसरे का साथ जीवनभर निभाएँ। ऐसी ही आशा है। रिश्ते की इस डोर को प्यार व समझदारी से थामें रखें ताकि रिश्तों में मधुरता सदैव बरकरार रहे।
भाई-बहन की उन शरारतों की, जिसे याद करते ही चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है और खुल जाती है दास्ताँ भाई-बहन के प्यार की।
भाई-बहन का नाता प्रेम व स्नेह का होता है। इस रिश्ते में हमारा बचपन कैद होता है, जिसे हमने बेफिक्र होकर पूरे आनंद से जिया है। हालाँकि आज हम रिश्तों के कई पायदानों पर चढ़ गए हैं परंतु हम अपना सुनहरा बचपन नहीं भूले हैं।
आधुनिकता की आँधी की मार झेलकर भी यह रिश्ता आज भी उतना ही पाक़ है। आज भी भाई-बहन में उतनी आत्मीयता और अपनापन है कि एक का दर्द दूसरे को महसूस होता है। दोनों एक-दूसरे के दु:ख-दर्द व खुशियों में शरीक होकर उन्हें सहारा देते हैं और ऐसा होना भी चाहिए।
रिश्ता आत्मीयता का रिश्ता होता है जिसे दिल से जिया जाता है। बचपन तो भाई-बहन की नोक-झोंक व शरारतों में गुजर जाता है।
भाई-बहन के रिश्ते की अहमियत तो हमें तब पता लगती है जब हम युवा होते हैं। जब हमारे बच्चे होते हैं। उनकी शरारतें हमें फिर से अपने बचपन में ले जाती हैं।
हर रक्षाबंधन पर बहन, भाई का बेसब्री से इंतजार करती है और भाई भी मीलों के फासले तय करके अपनी बहन को लेने जाता है। यही नहीं हर त्योहार पर बधाइयाँ देकर एक-दूजे के सुखी जीवन की कामना करते हैं।
माँ-बाप की डॉट-फटकार से अपने प्यारे भाई को बचाना हो या चुपके-चुपके बहन को कहीं घुमाने ले जाना हो... यह सब भाई-बहन को बखूबी आता है।
बचपन में हमने भी बहुत सारे बहाने किए, माँ-बाप की डॉट भी खाई पर वही किया जो हमें पसंद था। हमारी उन शरारतों में भी एक प्यार छुपा था, जिसकी तलाश आज भी हम करते हैं।
आधुनिकता की आँधी की मार झेलकर भी यह रिश्ता आज भी उतना ही पाक़ है। आज भी भाई-बहन में उतनी आत्मीयता और अपनापन है कि एक का दर्द दूसरे को महसूस होता है। दोनों एक-दूसरे के दु:ख-दर्द व खुशियों में शरीक होकर उन्हें सहारा देते हैं और ऐसा होना भी चाहिए।
यह प्यार ताउम्र बना रहे और भाई-बहन एक-दूसरे का साथ जीवनभर निभाएँ। ऐसी ही आशा है। रिश्ते की इस डोर को प्यार व समझदारी से थामें रखें ताकि रिश्तों में मधुरता सदैव बरकरार रहे।
ATUT PYAR KA BANDAN
भाई-बहन का रिश्ता है, जिसमें औपचारिकता से कहीं ज्यादा प्यार व दिलों का नाता होता है। अतीत की मधुर स्मृतियाँ तथा बचपन की यादें ताउम्र भाई-बहन को एक-दूसरे से जोड़े रखती है। यह रिश्ता एक ऐसा अटूट रिश्ता होता है, जिसे न तो कोई तोड़ पाता है और न ही कोई भूला पाता है।
व्यस्तता जहाँ आज हमारे जीवन की पहचान सी बन गई है। अब जब हमें अपने पड़ोसियों से बात करने की फुरसत नहीं मिलती, ऐसे में अपने भाई या बहन से मिलने का वक्त निकाल पाना तो बहुत ही मुश्किल होता है।
इस आपाधापी भरे जीवन में व्यस्तता के कारण जहाँ हर रिश्ता हमारे लिए एक औपचारिकता बनता जा रहा है, वहीं स्नेह व प्रेम के इस रिश्ते का वजूद अब तक वैसा ही काबिज है।
आज हमारे बीच दूरियाँ भले ही बहुत अधिक बढ़ गई हैं परंतु हमारे दिलों में अपने भाई या बहन के प्रति सम्मान व आदरभाव कम नहीं हुआ है।
आज भी हर राखी पर बहन को अपने लाडले वीर के आने का इंतजार रहता है और हर भाई भी बड़ी ही शिद्दत से अपनी बहन के लिए उपहार लाता है। बचपन के वो झगड़े व शरारतें अब इस उम्र में भी होती है पर अब वो आँखों में आँसू की बजाय होंठों पर हँसी लाती हैं।
बहन की हर दुख-तकलीफ में भाई का दौड़े-दौड़े आना उनके असीम व अगाध प्यार का ही परिचायक है। यह रिश्ता खुदा का बनाया एक ऐसा पाक रिश्ता है, जिसमें धन-दौलत या शानो-शौकत को नहीं देखा जाता बल्कि प्यार की गहराइयों को आँका जाता है।
समय की तर्ज पर बदलते रिश्तों का साथ यह रिश्ता भी बदला पर आज भी इस रिश्ते में कड़वाहट व बैर का समावेश नहीं हुआ। अब भी यह एक अहसास बनकर हमें प्रेम की डोर से बाँधे रखे हैं।
व्यस्तता जहाँ आज हमारे जीवन की पहचान सी बन गई है। अब जब हमें अपने पड़ोसियों से बात करने की फुरसत नहीं मिलती, ऐसे में अपने भाई या बहन से मिलने का वक्त निकाल पाना तो बहुत ही मुश्किल होता है।
इस आपाधापी भरे जीवन में व्यस्तता के कारण जहाँ हर रिश्ता हमारे लिए एक औपचारिकता बनता जा रहा है, वहीं स्नेह व प्रेम के इस रिश्ते का वजूद अब तक वैसा ही काबिज है।
आज हमारे बीच दूरियाँ भले ही बहुत अधिक बढ़ गई हैं परंतु हमारे दिलों में अपने भाई या बहन के प्रति सम्मान व आदरभाव कम नहीं हुआ है।
आज भी हर राखी पर बहन को अपने लाडले वीर के आने का इंतजार रहता है और हर भाई भी बड़ी ही शिद्दत से अपनी बहन के लिए उपहार लाता है। बचपन के वो झगड़े व शरारतें अब इस उम्र में भी होती है पर अब वो आँखों में आँसू की बजाय होंठों पर हँसी लाती हैं।
बहन की हर दुख-तकलीफ में भाई का दौड़े-दौड़े आना उनके असीम व अगाध प्यार का ही परिचायक है। यह रिश्ता खुदा का बनाया एक ऐसा पाक रिश्ता है, जिसमें धन-दौलत या शानो-शौकत को नहीं देखा जाता बल्कि प्यार की गहराइयों को आँका जाता है।
समय की तर्ज पर बदलते रिश्तों का साथ यह रिश्ता भी बदला पर आज भी इस रिश्ते में कड़वाहट व बैर का समावेश नहीं हुआ। अब भी यह एक अहसास बनकर हमें प्रेम की डोर से बाँधे रखे हैं।
Beti ke naam
Sach me rishto ka yab bhavar bada ajibo garib hai
Kabhi hasata hai , kabhi rulata hai
Ye berahm duniya nahi samaj pati jajbato aur sneh ko
Phir bhi koi shikayat nahi hai jamane se
Bas dil to yahi bar bar kaheta hai
Sunhare patto pey
Likhi kuch kahaniya,
Kuch khatti kuch meethi,
Kabhi hansati kabhi rulati...........
Chupchaap khali bethna
Kai ganthe na jaane kyun
Khamosh, apne ko he dhundna
Na jane kahan chale gaye woh pal....................
u to bahot chahate hai hap apni beti ko
Bas yadoo ke saharey ji laenge ham
Bale voh kuch khatti ho ya kuch mitti ho
Un Gammo ka Jaher ko pi lenge ham
Sache pyar ki koi sima nahi hoti
mohobat ki koi murat nahi hoti
Bachi meri hamesha kush raho dil se nikalati hai har pal yahi duwa
Ek babul ke gam ko yah jalim duniya kya jane
Sach me rishto ka yab bhavar bada ajibo garib hai
Kabhi hasata hai , kabhi rulata hai
Ye berahm duniya nahi samaj pati jajbato aur sneh ko
Phir bhi koi shikayat nahi hai jamane se
Bas dil to yahi bar bar kaheta hai
Sunhare patto pey
Likhi kuch kahaniya,
Kuch khatti kuch meethi,
Kabhi hansati kabhi rulati...........
Chupchaap khali bethna
Kai ganthe na jaane kyun
Khamosh, apne ko he dhundna
Na jane kahan chale gaye woh pal....................
u to bahot chahate hai hap apni beti ko
Bas yadoo ke saharey ji laenge ham
Bale voh kuch khatti ho ya kuch mitti ho
Un Gammo ka Jaher ko pi lenge ham
Sache pyar ki koi sima nahi hoti
mohobat ki koi murat nahi hoti
Bachi meri hamesha kush raho dil se nikalati hai har pal yahi duwa
Ek babul ke gam ko yah jalim duniya kya jane
Wednesday, January 6, 2010
बहुत प्यार करना चाहता हूँ तुम्हें
जैसे बादल बरसते हैं
धरती पर
मैं क्यों नहीं कर पाता तुम्हें
इतना प्यार।
हवा, जैसे भर देती हैं हँसी
पेड़ की नस-नस में
क्यों नहीं दे पाता स्पर्श तुम्हें
उस प्रकार।
फूल चटख जाते हैं
अपनी खुशबू के साथ
मैं क्यों व्यक्त नहीं कर पाता
ऐसा प्यार।
दरअसल, हमने प्यार करने की
दो जगह चुनी है।
बादल, हवा, फूल, स्पर्श-गंध
अलग से नहीं पहचाने जा सकते
ये सब घुल-मिल गए हैं
हमारे घर में
इसलिए दिखाई नहीं देता
अलग से हमारा प्यार।
जैसे बादल बरसते हैं
धरती पर
मैं क्यों नहीं कर पाता तुम्हें
इतना प्यार।
हवा, जैसे भर देती हैं हँसी
पेड़ की नस-नस में
क्यों नहीं दे पाता स्पर्श तुम्हें
उस प्रकार।
फूल चटख जाते हैं
अपनी खुशबू के साथ
मैं क्यों व्यक्त नहीं कर पाता
ऐसा प्यार।
दरअसल, हमने प्यार करने की
दो जगह चुनी है।
बादल, हवा, फूल, स्पर्श-गंध
अलग से नहीं पहचाने जा सकते
ये सब घुल-मिल गए हैं
हमारे घर में
इसलिए दिखाई नहीं देता
अलग से हमारा प्यार।
Sunday, January 3, 2010
Beti ke naam
Sach me rishto ka yab bhavar bada ajibo garib hai
Kabhi hasata hai , kabhi rulata hai
Ye berahm duniya nahi samaj pati jajbato aur sneh ko
Phir bhi koi shikayat nahi hai jamane se
Bas dil to yahi bar bar kaheta hai
Sunhare patto pey
Likhi kuch kahaniya,
Kuch khatti kuch meethi,
Kabhi hansati kabhi rulati...........
Chupchaap khali bethna
Kai ganthe na jaane kyun
Khamosh, apne ko he dhundna
Na jane kahan chale gaye woh pal....................
hamne to bahot chahate hai hap apni beti ko
Bas yadoo ke saharey ji laenge ham
Bale voh kuch khatti ho ya kuch mitti ho
Un Gammo ka Jaher ko pi lenge ham
Sache pyar ki koi sima nahi hoti
Mohobat ki koi murat nahi hoti
Bachi meri hamesha kush raho dil se nikalati hai har pal yahi duwa
Ek babul ke gam ko yah jalim duniya kya jane
Sach me rishto ka yab bhavar bada ajibo garib hai
Kabhi hasata hai , kabhi rulata hai
Ye berahm duniya nahi samaj pati jajbato aur sneh ko
Phir bhi koi shikayat nahi hai jamane se
Bas dil to yahi bar bar kaheta hai
Sunhare patto pey
Likhi kuch kahaniya,
Kuch khatti kuch meethi,
Kabhi hansati kabhi rulati...........
Chupchaap khali bethna
Kai ganthe na jaane kyun
Khamosh, apne ko he dhundna
Na jane kahan chale gaye woh pal....................
hamne to bahot chahate hai hap apni beti ko
Bas yadoo ke saharey ji laenge ham
Bale voh kuch khatti ho ya kuch mitti ho
Un Gammo ka Jaher ko pi lenge ham
Sache pyar ki koi sima nahi hoti
Mohobat ki koi murat nahi hoti
Bachi meri hamesha kush raho dil se nikalati hai har pal yahi duwa
Ek babul ke gam ko yah jalim duniya kya jane
bahot paya bahot koya is jag me ,
milna aur bichadana dekh liya is jag ka
par muje nahi koi shikava ya shikayat jag se
bhale chala gaya pag pag pe ,
dard aur dukh ko diya apno ne hi par nahi koi gila muje
masti ka alam hai yaha par jita rahunga us nurani masti me ,
lutata rahunga moujo ke khajane ko ,
yahi yahi tamana ke dena me janu pane ki rahe na khawish ,
lutata rahu apne masti ko lene ke na rahe koi asha ,
jiwan jiyu ise ke garv ho us jiwan ko bhi pada hai koi
janda mard insan se pala
milna aur bichadana dekh liya is jag ka
par muje nahi koi shikava ya shikayat jag se
bhale chala gaya pag pag pe ,
dard aur dukh ko diya apno ne hi par nahi koi gila muje
masti ka alam hai yaha par jita rahunga us nurani masti me ,
lutata rahunga moujo ke khajane ko ,
yahi yahi tamana ke dena me janu pane ki rahe na khawish ,
lutata rahu apne masti ko lene ke na rahe koi asha ,
jiwan jiyu ise ke garv ho us jiwan ko bhi pada hai koi
janda mard insan se pala
Subscribe to:
Posts (Atom)