Tuesday, April 20, 2010
वेद हमारे पूजनीय ग्रंथ हैं। वेदों का एक उपदेश है-'उद्यानं वे पुरुष. नावयानम्।' अर्थात मनुष्य का जन्म इस दुनिया में इसलिए हुआ है कि वह निरंतर प्रगति करे, आगे बढ़ता रहे, कभी नीचे की तरफ नहीं जाए। जिस प्रकार यदि गेंद को ऊपर की ओर उछाला जाए तो एक हद तक वह ऊपर जाएगी, उसके बाद नीचे आने लगेगी। उसी प्रकार जिस दिन मनुष्य की उन्नति रुक गई, उस दिन उसकी अवनति प्रारंभ हो जाएगी। अतः हर सुबह की शुरुआत में हम यह सोचें कि जो भी कार्य हम कर रहे हैं उसे बेहतर कैसे करें?
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