Monday, April 19, 2010

खामोश हैं नदी


उसके ऊपर से गुजर रहा हैं

एक पुल



तट पर एक अकेला

पत्थर सा बैठा हूँ मैं चुप



आँखों से टपकते हैं मेरे आंसू

जल में जाते हैं ड़ूब

उन्हें बहाकर लेजाती लहर

कहती हैं बहुत भावुक हो तुम



यह दुनिया पानी सा

बहता हुआ हैं एक पृष्ठ

उस पर व्यर्थ ,

प्यार के शब्दों कों

लिखने की कोशिश क्यों करते हो बहुत

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