खामोश हैं नदी
उसके ऊपर से गुजर रहा हैं
एक पुल
तट पर एक अकेला
पत्थर सा बैठा हूँ मैं चुप
आँखों से टपकते हैं मेरे आंसू
जल में जाते हैं ड़ूब
उन्हें बहाकर लेजाती लहर
कहती हैं बहुत भावुक हो तुम
यह दुनिया पानी सा
बहता हुआ हैं एक पृष्ठ
उस पर व्यर्थ ,
प्यार के शब्दों कों
लिखने की कोशिश क्यों करते हो बहुत
Monday, April 19, 2010
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