Wednesday, March 31, 2010

लाडो हमारी है चाँदतारा, वो चाँदतारा वर माँगती है

बन्नो हमारी है चाँदतारा, वो चाँदतारा वर माँगती है॥

ढोलक की थाप और घर में गूँजते ये विवाह के गीत सुन मन मयूर नाच उठता है। बेटी के ब्याह की सोच-सोच ही ऐसा लगने लगता है, मानो सारे जहाँ की खुशियाँ हाथ लग गई हों, सारे सपने पूरे हो गए हों। सच ही तो है! बेटी के जन्म के साथ उसको स्पर्श करते ही न जाने कितने रंग-बिरंगे खुशियों की सौगात से परिपूर्ण सपने आँखों में तैरने लगते हैं।

ज्यों-ज्यों वो बड़ी होती जाती है, त्यों-त्यों ख्वाब के साकार होने की इच्छा भी माता-पिता की बलवती होने लगती है और वे तन-मन धन से उन्हें पूरा करने में लग जाते हैं।

यही फिर उनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य रह जाता है कि बेटी को सिर्फ और सिर्फ सुखी संसार ही मिले। कैसी भी परेशानी अथवा दुःख की घड़ी सदा-सदा कोसों दूर रहे। लेकिन सपना जब तक सपना रहता है तभी तक अच्छा लगता है, क्योंकि हकीकत बन जब सामने आता है तो जरूरी नहीं जैसा आपने देखा-सोचा, बिलकुल वैसा ही यथार्थ में भी दिखाई दे, थोड़ा-बहुत अदल-बदल तो हो ही जाता है।

इसीलिए कहा गया है कि जो माता-पिता आपसी सूझ-बूझ व समझदारी से सपने व सच्चाई में ठीक सामंजस्य स्थापित कर लेते हैं। वे फिर स्वयं के साथ-साथ बेटी के सुखद भविष्य की भी नींव रख लेते हैं अन्यथा उनके साथ-साथ ताउम्र उसे भी परेशानी उठानी पड़ती है।

बचपन से लेकर आज तक जो भी उनकी भावी दामाद को लेकर इच्छाएँ-आकांक्षाएँ थीं, सब वे एक ही लड़के में देखना चाहते थे। नतीजतन जितने भी रिश्ते आते, सभी में कुछ न कुछ कमी उन्हें नजर आ ही जाती। कभी संयुक्त परिवार है तो कभी खानदान ज्यादा ऊँचा नहीं लग रहा।

कभी लड़के का रूप-रंग सलोना है तो कभी लड़के की कम आय ही नजर आने लगती। बेटी 27 साल की हो गई। अब न तो उसमें वो मासूमियत-रौनक रह गई, जो पहले थी साथ ही माता-पिता का भी धैर्य व हिम्मत धीरे-धीरे जवाब देने लगी। अब तो हर पल उन्हें यही लगता, बड़ी भूल कर दी जो इतने नुक्स निकाले।

कई अच्छे-अच्छे रिश्ते बिना वजह ही हाथ से निकल जाने दिए। जहाँ पहले मनमाफिक सब कुछ मिल जाता, वहीं अब मन को समझा कहीं न कहीं बात पक्की करनी ही होगी, नहीं तो देर होती जाएगी।

ऐसा कई माता-पिताओं के साथ होता है और अच्छे-अच्छे के चक्कर में वे इधर-उधर भटकते ही रहते हैं। समझदारी व बुद्धिमत्ता से न सोच पाने के कारण फिर बाद में जैसे-तैसे समझौता करना ही पड़ता है और जिंदगीभर यही अफसोस दिल में रह जाता है कि हमारी बेटी को ज्यादा सुख-खुशियाँ मिल सकती थीं, यदि हमने वास्तविकता को पहचान हवा में सपने न बुने होते।

ऐसे ही मेरी परिचिता की बेटी साधारण रंग-रूप की है। पढ़ाई-लिखाई या फिर अन्य क्षेत्र में भी औसत दर्जे की ही रही है किंतु उसे भी चाहिए- सपनों का-सा राजकुमार, जो जिन्ना की भाँति पलक झपकते ही उसकी हर इच्छा पूरी कर दे। पलभर में सारे सुख-साधन उपलब्ध करा दे। आजकल इस तरह की विचारधारा का एक बड़ा कारण व्यक्ति की अपरिपक्व सोच तथा आर्थिक स्थिति का मजबूत होना भी है, क्योंकि पैसे के बल पर वे सब कुछ पाना चाहते हैं।

जब माता-पिता लड़का देख रिश्ते तय करने जाते हैं तो एक खरीददार की तरह ही उनका व्यवहार हो जाता है कि जब पैसा अच्छा देंगे तो माल भी अच्छा ही चाहिए। कहीं किसी प्रकार की कोई कमी नहीं होनी चाहिए। बस! यही संकीर्ण मानसिकता व सोच का ढंग ही उनकी परेशानी का कारण बन जाता है, जो कि आज नहीं तो कल उन्हें पछताने के लिए मजबूर करता ही है।

कहते हैं न जोड़ियाँ स्वर्ग में बनती हैं। हम तो केवल यहाँ थोड़ी-बहुत दौड़भाग कर उनको मिलाते हैं, गठबंधन कराते हैं अतः बेटी हो या बेटा, दोनों ही जब विवाह योग्य हो जाएँ तो उनके लिए उन्हीं के अनुरूप दामाद अथवा बहू चुनें। जरूरत से ज्यादा नुक्ताचीनी या फिर मन में वहम पालना उचित नहीं होता।

जहाँ भी, जब भी यथायोग्य जोड़ा मिले, खुशी-खुशी बिना किसी शंका व चिंता के बच्चों को उनके सुखद भविष्य का आशीर्वाद देकर नवजीवन में प्रवेश करने की अनुमति दें और ईश्वर से प्रार्थना कर दीर्घायु तथा सदा सुखी रहने की कामना करें।

Monday, March 29, 2010

Khushbu ki tarah aapke paas bikhar jayenge, Sukoon bankar dil mein utar jayenge,

Mehsus karnay ki koshish kijiye,dur hokar bhi paas nazar ayenge.

yado ke es safar me kabhi na tanha payenge

હે પ્રભુ,

હે પ્રભુ,

સંજોગો વિકટ હોય ત્યારે,સુંદર રીતે કેમ જીવવું? તે મને શીખવ.

બધી બાબતો અવળી પડતી હોય ત્યારે, હાસ્ય અને આનંદ કેમ ન ગુમાવવાં? તે મને શીખવ.

પરિસ્થિતિ ગુસ્સો પ્રેરે તેવી હોય ત્યારે,  શાંતિ કેમ રાખવી?  તે મને શીખવ.

કામ અતિશય મુશ્કેલ લાગતું હોય ત્યારે, ખંતથી તેમાં લાગ્યા કેમ રહેવું?  તે મને શીખવ.

કઠોર ટીકા ને નિંદાનો વરસાદ વરસે ત્યારે,  તેમાંથી મારા ખપનું ગ્રહણ કેમ કરી લેવું?  તે મને શીખવ.

પ્રલોભનો, પ્રશંસા, ખુશામતની વચ્ચે  તટસ્થ કેમ રહેવું?  ત મને શીખવ.

ચારે બાજુથી મુશ્કેલીઓ ઘેરી વળે,શ્રધ્ધા ડગુમગુ થઈ જાય,

નિરાશાની ગર્તામાં મન ડૂબી જાય ત્યારે, ધૈર્ય અને શાંતિથી તારી કૃપાની પ્રતીક્ષા કેમ કરવી?  તે મને શીખવ.

હે પરમાત્મા,

હે પરમાત્મા,


મને તારી શાંતિનું વાહન બનાવ.

જ્યાં ધિક્કાર છે ત્યાં હું પ્રેમ વાવું.

જ્યાં ઘાવ થયો છે ત્યાં ક્ષમા

જ્યાં શંકા છે ત્યાં શ્રધ્ધા

જ્યાં હતાશા છે ત્યાં આશા

જ્યાં અંધકાર છે ત્યાં પ્રકાશ

જ્યાં શોક છે ત્યાં આનંદ.

હે દિવ્ય સ્વામી, એવું કરો કે,

હું આશ્વાસન મેળવવા નહિ, આપવા ચાહું

મને બધાં સમજે એ કરતાં હું બધાંને સમજવા ચાહું.

મને કોઈ પ્રેમ આપે એ કરતાં હું કોઈને પ્રેમ આપવા ચાહું.

કારણ કે,આપવામાં જ આપણને મળે છે;

ક્ષમા કરવામાં જ આપણે ક્ષમા પામીએ છીએ.

મૃત્ય પામવામાં જ આપણે શાશ્વત જીવનમાં જન્મીએ છીએ
આંખમાં આંજો જરા શમણું,


તો નવા પથરાય છે રસ્તા.
 
છે બધાની એક તો મંઝિલ,


કેમ નોખા થાય છે રસ્તા!
भोर के तारे ने एक दिन कहा मुझसे

तुम क्षण भर के लिए मुझ पर

अपनी दृष्टि स्थिर रखना

मैं जैसे ही टूटकर ‍गिरने लगूँ

तुम अपने प्रिय की चाह करना

देखी नहीं जाती क्योंकि मुझसे

तुम्हारी आँखों में सूनेपन की छाया।



इतना स्वार्थी हो नहीं सकता किन्तु

तुम्हारे प्रति मेरा प्रेम

मेरे सुख के लिए टूटने को तैयार

दूर आकाश में टिमटिमाता

वह तारा ही तो एकमात्र साक्षी है

प्रतीक्षा की उन अनगिनत रातों का।



मुझसे बिना पूछे जो बहती थीं

उसकी मूक सांत्वना की छाया में

वो अश्रुधाराएँ चाँदी सी चमकती थी।

तुमसे कभी कह न सकी

वो तमाम बातें और

दिल के सूनेपन में लिखी हुई

यादों की किताब के सारे पन्ने

मैंने उसको ही सुनाए थे

उसने भी सहानुभूति के आँसू

प्रभात में पँखुरियों पर बिखराए थे।



इसलिए मैं खोना नहीं चाहती

विरह का वो अनमोल साथी

बस इतना भर चाहती हूँ

मेरे न रहने पर कभी

जब तुम निहारों सूना आकाश

तो वह नन्हा सितारा झिलमिलाए

बड़े जतन से सहेजी हुई

मेरे अर्थहीन प्रेम की गाथा

चुपके से तुमको कह सुनाए

तुम्हारी आँखों पर ठहरी बूँदों को

मेरा तर्पण समझकर मुस्कुराए।

Sunday, March 28, 2010

खिले थे गुलाबी, नीले, हरे और जामुनी फूल

हर उस जगह महक उठी थी केसर

जब मुस्कुराए थे तुम,  और भीगी थी मेरे मन की तमन्ना

मैं यादों के भँवर में उड़ रही हूँ  किसी पीपल पत्ते की तरह,

तुम आ रहे हो ना थामने आज ख्वाबों में,

मन कहीं खोना चाहता है तुम्हारे लिए, तुम्हारे बिना।

Friday, March 26, 2010

मेरा नसीब

वो आँखों से दूर दिल के करीब था , मैं उसका वो मेरा नसीब था , ना कभी मिला ना जुदा हुआ , रिश्ता हम दोनों का कितना अजीब था !!

Thursday, March 25, 2010

Ye mat poochho humse ki


tumhe kitna pyar karte hain

bata pana mushkil hoga kyunki

hum pyar ka hisaab nahi rakhte hain,

Hisaab rakhte hain is baat ka ki

tumhe kitna yaad karte hain

uss har yaad mein tumhe hum

behisaab pyar karte hain.
Parvaton se nikalkar jharne kisi khoi hui


manzil ki taraf behte hain

Hawa sare-shaam unke liye chalti hai

jinke mehboob bahut dur kahin rehte hain.
Woh pehchan woh mulakat woh adhuri si baat


teri yaad satati hai mujhe har din har raat,

Woh maasumiyat mein sarabor jo lafz the tere

yun laga jaise dil ke ankahe ehsaas the mere,

Main khamoshi se sunti rahi teri baaton ko

aur pyar se sehlati rahi teri yaadon ko,

Apne jazbaton ko bayaan kar ke tu khamoshi se chala gaya

anjaane mein hee sahi apne liye mere ehsaas ko tu aur jaga gaya

प्यार

प्यार की दुनिया बहुत होती अनूठी

प्यार के अहसास से मीठा न कुछ है

प्यार का सौंदर्य होता है निछक्का हर रंग होता सहज-पक्का

प्यार करुणा, स्नेह, ममता है, दया है। प्यार की दुनिया बहुत होती अनूठी

मैं

मैं अक्सर हौले से चलकर  घर आ जाता हूँ

तुम्हारे साथ में बैठकर तुम्हें देख भी लेता हूँ ;

और जब तुम घर के काम कर रही होती हो तो,

मैं तुमसे बातें करते रहता हूँ ...मैं तुमसे प्यार करता हूँ ...

तेरे हाथों के कौरों में मेरा भी तो हिस्सा होता है ...

तुम जब चलती हो घर में ; एक कमरे से दूसरे कमरे में जाते हुए,

मैं भी तो होता हूँ उन्हीं कदमों के साथ ..

और जब तुम नींद में जाती हो ;तो मैं भी वहाँ लेटा हुआ देखते रहता हूँ ...

और अपनी ऊँगली से तेरा और मेरा ;नाम लिखते रहता हूँ ...

और जब तुम यूँ ही अचानक  हवा में मुझे ढूँढती हो;

तो मैं मुस्कराता हूँ ...फिर देखता हूँ कि ;

तुम्हारी आँखों की छोर पर एक बूँद आँसू की ठहरी हुई होती हैं;

मेरा नाम लिए हुए..तुम उसे पोंछ देती हो ;

ये देखते हुए कि किसी ने देखा तो नहीं...

मैं तब भी वहीं होता हूँ जानां!!!

प्यार

कुदरत का सबसे अनमोल तोहफा प्यार है। यह बाँटने से और बढ़ता है तथा अपनी भीनी-भीनी महक को प्रकृति में चारों ओर बिखेर देता है।  लोग बदल जाते हैं, पर प्यार कभी नहीं बदलता है। यह तो ऐसा संक्रामक रोग है जो देखने से भी फैलता है और कभी भी, कहीं भी, किसी को भी हो सकता है।

कुछ लोग कहते हैं कि प्यार किया नहीं जाता, बस हो जाता है। प्यार क्या है, किससे करें, कब करें ऐसे कई अनसुलझे सवाल हैं कि अगर जानबूझकर इन्हें नजरअंदाज किया जाए तो अंत में निराशा होती है। दिल के टूटने की आहट भी सुनाई देती है।

कई बार 'जिएँगे तो साथ, मरेंगे तो साथ' ऐसे कस्मे वादे तो लोग कर लेते हैं लेकिन प्रेम के परवान चढ़ते-चढ़ते जब जिंदगी की हकीकत से सामना होता है तो सारे सपने उनके कदमों तले टूटकर बिखर जाते हैं और कुछ दिनों का इश्क जीवनभर के अश्क बन जाता है।

जब कोई किसी से सच्चा प्रेम करता है एवं केवल सामने वाले के रूप-रंग से आकर्षित नहीं होता बल्कि उसकी हर बात से पप्यार करता है। वह कभी भी यह जानने की कोशिश नहीं करता है कि वह जिसके इश्क में गिरफ्तार है, वह उसके प्रति क्या सोचता/सोचती है। वह वफादार है या नहीं। उसकी आने वाले भविष्य में क्या प्लानिंग और पॉसिबलिटीज हैं। इसी का परिणाम होता है- मोहब्बत में बेवफाई। हालाँकि सभी के साथ ऐसा नहीं होता है कि इश्क में ठोकरें ही मिलें, पर कोई जानबूझकर कुएँ में क्यों कूदे।

प्रेम को जीवन पर्यन्त सुंदर बनाए रखने के लिए भी यह जरूरी है कि हम इसके बारे में देख लें, परख लें एवं धोखा खाने से संभवतः बचने का प्रयास करें।

यूँ तो प्यार में चोट देने वाला, पहचान के बाद भी चोट दे सकता है।

अगर सामने वाला चाहता है और आपके लिए कुछ भी करने को तैयार है परंतु इस बात को अहसान बताकर याद दिलाता रहता है तो समझ लेना चाहिए कि वह आपसे प्यार नहीं करता है और आपको अपने अहसानों तले दबाकर रखना चाहता है।

यदि प्रेमी/प्रेमिका आपकी उन मामलों में भी मदद करे, जो उसकी सीमा के बाहर है तो यह मानना चाहिए कि आपको बहुत चाहता है और सदा काम करने के लिए आगे रहता है।

 अगर कभी प्यार करने वाला आपका जन्मदिन ही भूल जाए या अन्य जरूरी मौकों पर सहयोग न करे और प्यार का दम भरे तो समझ लीजिए कि वह आपके बारे में कम और खुद की रक्षा करने के बारे में अधिक सोचता है।

 यदि कोई लम्बे समय तक आपसे मिलता रहे, प्यार जताता रहे परंतु शादी की बात बिना किसी बड़े कारण के टालता रहे तो निश्चित ही वह आपसे शादी नहीं करना चाहता है। केवल टाइमपास बना रखा है। ऐसे में तत्काल निर्णय लेना चाहिए।

 शादी से पहले ही अगर साथी का व्यवहार एवं माँगें अनुचित हों तथा तरह-तरह के प्रलोभन देकर वह केवल अपनी बात ही मनवाना चाहे तो स्वयं फैसला कीजिए कि ऐसा साथी जीवन के सफर में आप से कितनी वफा निभा सकेगा।

 यदि आपको चाहने वाला आपके अलावा आपके पूरे परिवार को भी उचित मान-सम्मान देता है तथा परिवार में सदस्य की तरह ही व्यवहार करे तो मान लीजिए कि ऐसे व्यक्ति से आप शादी कर सकते हैं।

'मुहब्बत है, जरा सोच समझकर करना,

एक आँसू भी टूटा, तो सुनाई देगा।'

इसलिए प्यार में बेवफाई करने और सहने से अच्छा है कि जब प्यार हो तो प्यार को कसौटी पर परख भी लें।

Tuesday, March 23, 2010

तुम

तुम रहे साथ मेरे, जब मैं खो गई।

तुम रहे साथ मेरे, जब हर शै पराई हो गई

तुम रहे साथ मेरे, घनघोर बारिश में

तुम रहे साथ मेरे, दर्द की खलिश में

तुम रहे साथ मेरे, जख्मों पर मरहम की तरह

तुम रहे साथ मेरे, मेरे हमदम की तरह

तुम रहे साथ मेरे, एक देवदूत की तरह

तुम रहे साथ मेरे, प्रेम के वजूद की तरह...।
तुम अमृत रस मैं 'प्यासा मन'

तुम सरिता सी चंचल चंचल

इस सागर तक तुम आ जाओ

स्वीकार करो ये निमंत्रण


तुम प्रीत का कोई गीत कहो

कभी मुझको भी मनमीन कहो


ये मन है स्वप्न सजाता है

कभी रोता है कभी गाता है

इस मन की बात समझ लो तुम

बाँधो न भले कोई बंधन

माँ!

तुम दुर्गा हो,भवानी हो तुम!

सनातन कल्याणी हो तुम!!

तुम किरण देवी हो,

तुम अहिल्या, दुर्गावती हो तुम!

तुम सत्य सनातन, महासती हो तुम!

तुम केवल श्रद्धा हो -

माँ! तुम केवल श्रद्धा हो !!
खिले थे गुलाबी, नीले, हरे और जामुनी फूल

हर उस जगह जहाँ छुआ था तुमने मुझे,

महक उठी थी केसर जहाँ छुआ था तुमने मुझे,

बही थी मेरे भीतर नशीली बयार जब मुस्कुराए थे तुम,

और भीगी थी मेरे मन की तमन्ना जब उठकर चल दिए थे तुम,

असंभव वादे।

बढ़-चढ़कर बोलने वालों को लोगों द्वारा बड़बोला कहा जाता है। कुछ लोग इसलिए भी बड़बोले कहे जाते हैं कि वे अपने बारे में ढेरों खुशफहमियाँ रखते हैं और अपने गुण स्वयं गाते हुए अपने आपको दुनिया के श्रेष्ठतम लोगों में से मानते हैं।


दूसरी श्रेणी उन लोगों की होती है जो दूसरों को तात्कालिक सांत्वना या दिलासा देने के लिए और अपना बड़प्पन दिखाने के लिए ऐसी बातें कह जाते हैं, ऐसे वादे कर जाते हैं जो पूरे करना उनके लिए तो मुश्किल हो ही जाता है जिनसे वादे किए जाते हैं वे भी बेचारे उनकी बातों में आकर चोट खाते हैं।

सांत्वना देना, मन रखना, दिलासा देना सभी अच्छा है, मगर यह अवश्य ध्यान रखें कि बड़बोलेपन की होड़ में आप ऐसे वादे, ऐसी बातें तो 'कमिट' नहीं कर रहे हैं जो आपके लिए संभव न हो। आगे जाकर उनके टूटने से सामने वाला दुखी तो होगा ही, अच्छे-खासे संबंधों में भी दरार आ जाएगी। इसलिए बढ़बोलेजी... बंद करें अपने असंभव वादे।

शादी

दूध और पानी जब मिलते हैं तो एक हो जाते हैं। प्रीत की सुंदर रीति देखिए कि यदि कपट की खटाई उसमें पड़ गई तो सारा रस चला जाता है। विवाह प्रेम का ऐसा ही मिलन है जिसमें दो अस्तित्व पानी और दूध की तरह मिल जाते हैं। यदि इस मिलन की बुनियाद ही झूठ पर टिकी हो तब! तब प्रेम और विश्वास का यह मिलन दूध की ही तरह फट जाता है जिसे दोबारा पहले जैसा बनाना संभव ही नहीं है।

रिश्ते को जोड़ने से पहले सबसे पहले ध्यान रखें कि आपस में कोई भी ऐसी बात दबी-छुपी हो जो विवाह के बाद आपके साथी की मानसिक परेशानी का कारण बन जाए। आप उन्हें सबकुछ बता दें। इसके बाद आपकी जिम्मेदारी समाप्त। अब यह आपके साथी की इच्छा पर निर्भर है कि वह आपको उसी स्थिति में स्वीकार करता है या नहीं।

किसी को पाने की इच्छा में आपका और आपके परिवार द्वारा किसी बात को छिपाया जाना कपट, झूठ और विश्वासघात की श्रेणी में आएगा। यदि आप ऐसा सोचते हैं कि एक बार शादी हो जाने दो सब ठीक हो जाएगा, तो आप गलत हैं। जीवन की लंबी दूरी तक साथ चलने के लिए चुने गए हमसफर से आप कुछ भी नहीं छुपा पाएँगे। आप कैसे हैं यह आपके व्यवहार से देर-सबेर पता चल ही जाएगा।

इसलिए इस बंधन में बँधने के पूर्व अच्छे माहौल में निष्कपट विचार-विमर्श कीजिए। बता डालिए सब कुछ कि आप क्या हैं, क्या चाहते हैं, आपकी क्या पसंद-नापसंद है, और जितना कुछ है मन में। आपका साथी यदि आपके प्रति वाकई में वफादार रह सकता है तो आपके गुणों-अवगुणों सभी के साथ आप उसे पसंद होंगे।

Monday, March 22, 2010

हाँ यह सच हैं कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिन्हें नाम नहीं दे पाते हम

तब मैं कहता हूँ -उससे अगले जन्म में तुम मुझे अपनी कोख से जन्म देना

 कुछ रिश्ते खुशबु की तरह साँसों में समाये रहते हैं
कुछ रिश्ते रक्त से बनते हैं और कुछ .. शब्द से

मेरी आत्मा कों सात जन्मो के लिये तुमने

अपनी कला से ,रचना से .. तृप्त कर दिया हैं

कभी रिश्तो में ममता हैं कभी स्नेह तो कभी प्रेम
बिना रिश्तो के जीवन सूना हैं

Sunday, March 21, 2010

प्यार

WDप्यार क्या है

भीड़ भरी निगाहों में भी

जो आँखों से छलके,

वही प्यार है।



सूरज की सुनहरी

किरणों के समान

जो मन में उजास भर दें,

वही प्यार है।



जीने की अभिलाषा को

जो उत्साह से

सराबोर कर दे,

वही प्यार है।



प्रेम के एक पल में भी

जो सारी जिंदगी

जीने का अहसास करा दे,

वही प्यार है।



संकट के समय

जो 'मैं हूँ ना' का

विश्वास जगाए,

वही प्यार है।
प्यार की दुनिया बहुत होती अनूठी

यहाँ सब सच हैं, न होती वस्तु झूठी

प्यार से हर रंग कुछ गहरा गया है

प्यार आदिम राग की अंतिम पहुँच है

प्यार के अहसास से मीठा न कुछ है

प्यार से ही घोंसला बुनता बया है

प्यार का सौंदर्य होता है निछक्का

प्यार का हर रंग होता सहज-पक्का

प्यार करुणा, स्नेह, ममता है, दया है।
यह ज़िंदगी है क्या?

परिभाषाओं से परे एक नाम है?

या मंजिल के बिना एक अंतहीन सफर

या फिर यह एक समुंदर है, जिसमें कहीं मोती हैं,

तो कहीं खाली सीपों-सी बजती  एक आशा है.

आखिरकार  यह ज़िंदगी है क्या?

नंदनवन है?   फूलों से लदा एक उपवन?

जिसमें, सिर्फ रंग ही रंग हैं

Wednesday, March 17, 2010

Mata pita

Mata pita hamesha adaraniya hote hai , unhone hame janm diya hai , pala hai posha hai bada kiya hai , anginit upkar hai unke hamare uper , hamari soche aur aunki socho me agar antar bhi hai to koi bat nahi hame unki socho ko adar dena chahiye aur agar voh sahi hai to hame unke bataye huwe marg pe chalkar apne jiwan ke lakshay ko pana chahiye par samjo kabhi voh galta bhi hai to hame unhe sneh se pyar se unki galtiyo ko dur karne ki koshish karni chahiye , ham santan hai unke hamare farjo me kabhi hi sandeh nahi hona chahiye hamara udeshay unki bhalai aur unki seva hi hona chiahiye , ishavar ko kush karna chahete ho to apne mata pita ka adar karo aur unke ashirvad tumhe duniya ke har kushiyo ko denge yah agar har santan soch le to jiwan sukhmay aur swargmay ho jaye

koshish

jiwan me hamesha koshish yah karni chahiye jo chij hame dukh de pareshani de , hamare bich me kalah ka karan bane un bato se jitna dur rahe acha hai , jiwan ladi gagdo ke liye nahi hai , jiwan hai jiwan data ko pane ki liye uske parm sukh ko anubutit karne ke liye , voh parm sukh aur shanti sansari bandan nahi de sakate voh anand to param giyan aur param kripalu parmatma ke simran se hi prapt hota hai , kitno ko sudharne ke liye apne jiwan ko varth karte rahenge bas kudh ko bigadne se bacha lo to param aanand se dur aap ja nahi pavoge param sukh ki anubhuti sawah hi hone lagegi

Tuesday, March 16, 2010

रिश्तों की चौखट पे ठोकर है खाई।


अपने परायों की समझ भी न आई।

सच्चा जो तेरा रिश्ता न मिलता।

ये जीवन हमारा दुबारा न खिलता।।

किस्मत की मौजों ने कश्ती डुबोयी।

जब सब लुटा तो तेरी याद आई।

अगर मेरी किश्ती को सहारा न मिलता।

ये जीवन हमारा दुबारा न खिलता।।
ऊपर नीला आसमान और आसमान मेम छाए काले बादल,


नीचे खड़े थे पेड़ के हम दोनो जाने किन ख्यालो में पागल,

एक विचित्र सी खामोशी थी फिर भी समा खामोश ना था,

बिजली कड़क रही थी , बादल गरज़ रहे थे,

हवाएँ गुनगुना रहीं थी फिर भी मैं चुप था,

रुक गई थी धरती रुक गया आसमान था,


रुके हुए थे हुम दोनो और रुका सारा जहान था,

Monday, March 15, 2010

jiwan ka ek vastivik sach  , insan bahot sare rishto se Gujrata hai jiwan me par jo rishte voh dimag se banata hai voh shashvat nahi hote , sathyi nahi hote , samay ki dhara ke sath dundhale pad jate hai par insan jo rishte dil se banata hai aur dil se kisiko accept karta hai unko puran rup se accept karta hai voh rishte shashavat hote hai , chiranjivi hote hai hamesha rahete hai , har sukh aur dukh me sath dete hai

Saturday, March 13, 2010

 live a life, you must want to live.


You create your own destiny.

Life is a very hard thing to keep

when your life does not always go the way you plan.

Fight for your life and the right to keep dreaming.

Who are you?

What do you want in life?

What will you be?

What is your purpose in life?

all of the answers will come in time.

Look to the future not to the past
 गुलाब है जो टूट कर भी मुस्कान छोड़ जाते हैं,


कभी  फरमाइश कभी नुमाइश बना दिया,

जी चाहा ज़ुल्फों में लगाया,जी चाहा सेज़ पे सज़ा दिया,

अरमानों को कुचल कर इत्र बना दिया,

मर कर भी साँसों में महक छोड़ जाते है,

दुसरों के रिश्ते बनाते फिरते हैं और खुद तन्हा रह जाते हैं ।

हमसफ़र

मेरे ज़िन्दगी के सफर में तुम मेरी चाह है हमसफ़र बनो

यही ख्वाब है मेरा एक हर नजारा तुम हर नजर बनो

जहाँ हो वफ़ा हर शाम में , जहाँ ज़िन्दगी हर जाम में ,

जहाँ चाँदनी हर रात हो , उम्मीद की हर सहर बनो

मैं नहीं काबिल तेरे बना , तू फलक मैं गर्दिश भला !

तू पूनम , मैं मावस की रात ,नही बने मेरे वास्ते मगर बनो

नही मेरे लिखने में वजन कोई नही साज पर कोई गीत चढा

ना लिख सका कोई ग़ज़ल , गुनगुना सकूँ तुम वो बहर बनो

मेरी नही पतवार कोई  मेरा नही माझी कोई

मैं हूँ तन्हा मंझधार में ,कश्ती को दे किनारा वो लहर बनो
जो हमारे बहुत करीब है उसे हम छू नही सकते शायद इसे 'मजबूरी' कहते है, जो हमे चाहता है उसे हम पा नही सकते शायद उसे 'नसीब' कहते है........!" इसी 'मजबूरी' और 'नसीब' के बीच एक रिश्ता पनपता है शायद इसे "मोहब्बत" कहते है.......
मन्जिले उन्ही को मिलती हैं , जिनके सपनों मैं जान होती है , पन्ख से कुछ नही होता , होसलों से उडान होती है

Friday, March 12, 2010

जागरण की सतत जलती हैं ज्योत जीवन के सागर में हिम सी

चट्टानों के सीनों पर  सिन्धु -लहरों की चोट बहती सी दीखती हैं दुनिया

पेड़ पौधों ,और पर्वतो कों रौंध तब आते हैं प्रभु एक शिशु कि भाति

आँखों में सतरंगी किरणों कों रोप मैं जाती हूँ सम्मोहित सी पीछे पीछे

तभी वह शिशु बन जाता हैं महादेव -किये बिना प्रतिरोध

द्वार पर बैठे भुजंग सहित तभी दिखता हैं एक श्वेत मन्दिर सर्वोच्च

मैं करती हूँ मां कों प्रणाम देते हैं आशीष -शंकर जी मुझे किये बिना रोष
क्या यही प्यार हैं ...

और मैं उस पर रोज एक कविता लिखता था

लेकिन यह बात वह नही जानती थी

बहुत सालो बाद जब मैं उससे मिला

तब तक वह मेरी कविताओ कों पढ़ते पढ़ते

मेरी कविताओ का शब्द बन गयी थी

मुझे मालूम था वो मेरी आत्मा के अमृत से भर गयी थी

तब मैंने उससे कहा

मैं आपका नाम लेते हीं -एक कविता लिख लेता हूँ

संसार के सारे फूलो की सुगंध में डूब जाता हूँ

मैं खुद चांदनी सा प्रकाश बन जाता हूँ

Monday, March 8, 2010

मेरा स्वभाव

होठों पर नगमे सीने के मध्य घाव है,


कवि का पूरा जीवन पीड़ा का पड़ाव है।



मुस्कानों से धोखा खा जाता हूँ अक्सर,

धोखा खाकर मुस्काना मेरा स्वभाव है।



मित्रों पर तो बेशक न्योछावर हूँ मैं पर,

अपने हर दुश्मन से भी मुझको लगाव है।



युद्धों को परिणत कर लेता हूँ यज्ञों में,

श्रीमद्‍भगवतगीता का मुझ पर प्रभाव है।



कंगाली में भी है अलमस्ती का आलम,

ऐसी जीवनशैली ऐसा रख-रखाव है।

मजा ही कुछ और है।

पलकें हो भीगीं और होठों पर मुस्कान हो ऐसे में खिलखिलाने में मजा ही कुछ और है।

कहने पर तो सब समझ लेते हैं खामोशी को कोई समझे तो मजा और है।

 
मतलब को तो सब चाहने वाले हो जाते हैं अपने से बढ़कर अगर कोई चाहे तो मजा और है


आँखें बंद करके गुनगुनाने में मजा और है भी‍गी हो जब आँखें तब मुस्कुराने में मजा और है

उम्र यों बिताना ही जिंदगी नहीं  जी भरकर जियो तो मजा कुछ और ही है।

मुस्कुराना ही जिंदगी नहीं होती रोतों को हँसाओं तो मजा और ह‍ी है


दोस्त कहने भर से कुछ नहीं होता दोस्त को रोज याद करो तो मजा कुछ और ही है

दोस्त तुम-सा अगर हो जीवन में जीवन की बगिया की रंग‍त कुछ और ही है।।

Wednesday, March 3, 2010

" जो हमारे बहुत करीब है


उसे हम छू नही सकते

शायद इसे 'मजबूरी' कहते है,



जो हमे चाहता है

उसे हम पा नही सकते

शायद उसे 'नसीब' कहते है........!"



इसी 'मजबूरी' और 'नसीब' के बीच

एक रिश्ता पनपता है

शायद इसे "मोहब्बत" कहते है.......

Tuesday, March 2, 2010

तनाव से भरी भागती-दौड़ती इस जिंदगी में किसी के चेहरे पर खुशी बिखेरना शायद आसमान के तारे तोड़ना जितना कठिन काम है, लेकिन दुनिया में कई ऐसे लोग हैं, जो दूसरों को खुशी देना अपने जीवन का लक्ष्य बनाए हुए हैं।


 दुनिया के सितमों के मारे बच्चों के चेहरे पर खुशी देखना शायद जीवन का सबसे खुशनुमा पल होता है।
‘दुनिया में बहुत से बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें प्यार करना तो दूर कोई दो शब्द ठीक से भी नहीं बोलता। ऐसे बच्चों को आत्मसम्मान और खुशी दे सकें।’  जिंदगी में एक बार अनाथ और बेसहारा बच्चों को खुशी देने की कोशिश करें। इस खुशी को आप लाखों रुपए खर्च करके भी नहीं खरीद सकते।’  जरूरतमंदों की मदद करना दोस्तों के साथ पार्टी करने से ज्यादा खुशी देता है।

 बुजुर्गों के साथ थोड़ा समय बिताकर उनके सुख-दुख की बात करना उनके लिए सबसे बड़ी खुशी है।’‘कभी-कभी बुजुर्ग अपने परिवार को याद कर परेशान हो जाते हैं। ऐसे में उनके साथ बैठना बहुत जरूरी हो जाता है। हम अगर किसी को खुशी देते हैं, तो इसमें हमारा कुछ नहीं जाता, लेकिन उनके चेहरे

पर आई मुस्कान जो सुकून देती है, उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल का काम है।’
'ये आँसू जो हैं बहते, बस इतना हैं ये कहते।


कहाँ तू और कहाँ मैं, पराया हूँ यहाँ मैं।

करम इतना अगर हो कि मुझपे इक नजर हो।'

इन पंक्तियों में प्रेम की सारी दुनिया समाई है। प्यार की बेबसी को कोई नहीं समझ सकता। जिस पर बीतती है, वह किसी से कह भी नहीं सकता, ये दिमाग की नहीं दिल की बातें हैं। कई बार होता है कि वह जिससे कहता है वही उसे झिड़कता है।
 इश्क इतनी तड़प पैदा नहीं कर पाया कि आयतें उतर पाएँ। प्रेम से मिले सुख को बस हमने स्वीकार किया और उसके दुख को नकार दिया।  'इश्क नहीं आसां बस इतना समझ लीजे, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है।'

 उससे मिली नफरत, जिल्लत और तौहीन के बाद भी आपके दिल से उसके लिए तेजाब नहीं बस मुस्कराते हुए यही निकले कि 'तू सदा खुश रहे'।
लेकिन कितना अजीब है यह एहसास कि दर्द भी मीठा लगता है। जो दर्द देता है उसके लिए यही निकलता है 'जो कहोगे तुम, कहेंगे हम भी हाँ यूँ सही। आपकी गर यूँ खुशी है मेहरबां यूँ ही सही।' शायद यही प्यार है।

 प्यार माँग नहीं सिर्फ देना है, अपनी तरफ से निभाना है
'उसकी वो जाने उसे पासे-वफा था कि न था,

तुम  अपनी तरफ से तो निभाते जाते।'

प्यार

पहली नजर में प्यार कभी हो ही नहीं सकता, वह तो एक आकर्षण है एक दूसरे के प्रति, जो प्यार की पहली सीढ़ी से भी कोसों दूर है। जैसे दोस्ती अचानक नहीं हो सकती, वैसे ही प्यार भी अचानक नहीं हो सकता। प्यार भी दोस्ती की भाँति होता है, पहले पहले अनजानी सी पहचान, फिर बातें और मुलाकातें। सिर्फ एक नए दोस्त के नाते, इस दौरान जो तुम दोनों को नजदीक लेकर आता है वह प्यार है। कुछ लोग सोचते हैं कि अगर मेरी शादी मेरे प्यार से हो जाए तो मेरा प्यार सफल, नहीं तो असफल। ये धारणा बिल्कुल गलत है, क्योंकि प्यार तो नि:स्वार्थ है, जबकि शरीर को पाना तो एक स्वार्थ है। इसका मतलब तो ये हुआ कि आज तक जो किया एक दूसरे के लिए वो सिर्फ उस शरीर तक पहुँचने की चाह थी, जो प्यार का ढोंग रचाए बिन पाया नहीं जा सकता था।

प्यार तो वो जादू है, जो मिट्टी को भी सोना बना देता है। प्यार वो रिश्ता है, जो हमको हर पल चैन देता है, कभी बेचैन नहीं करता, अगर कुछ बेचैन करता है तो वो हमारा शरीर को पाने का स्वभाव।  प्यार वही है, जो एक माँ और बेटे की बीच में होता है, जो एक बहन और भाई के बीच में या फिर कहूँ बुल्ले शाह और उसके मुर्शद के बीच था। ज्यादातर  प्यार को हथियार बना एक दूसरे के जिस्म तक पहुँचना चाहते हैं, अगर ऐसा न हो तो दिल का टूटना किसे कहते हैं, उसने कह दिया मैं किसी और से शादी करने जा रही हूँ या जा रहा हूँ, तो इतने में दिल टूट गया। सारा प्यार एक की झटके में खत्म हो गया, क्योंकि प्यार तो किया था, लेकिन वो रूहानी नहीं था, वो तो जिस्म तक पहुँचने का एक रास्ता था, एक हथियार था। अगर वो जिस्म ही किसी और के हाथों में जाने वाला है तो प्यार किस काम का।

सच तो यह है कि प्यार तो रूहों का रिश्ता है, उसका जिस्म से कोई लेना देना ही नहीं, , प्यार कभी सुंदरता देखकर हो ही नहीं सकता, अगर होता है तो वह केवल आकर्षण है, प्यार नहीं। माँ हमेशा अपने बच्चे से प्यार करती है, वो कितना भी बदसूरत क्यों न हो, क्योंकि माँ की आँखों में वह हमेशा ही दुनिया का सबसे खूबसूरत बच्चा होता है।

प्यार तो वो जादू है, जो मिट्टी को भी सोना बना देता है। प्यार वो रिश्ता है, जो हमको हर पल चैन देता है, कभी बेचैन नहीं करता, अगर कुछ बेचैन करता है तो वो हमारा शरीर को पाने का स्वभाव। जिन्होंने प्यार के रिश्ते को जिस्मानी रिश्तों में ढाल दिया, उन्होंने असल में प्यार का असली सुख गँवा दिया।

एक वो जिन्होंने प्यार को हमेशा रूह का रिश्ता बनाकर रखा, और जिस्मानी रिश्तों में उसको ढलने नहीं दिया, उनको आज भी वो प्यार याद आता है, उसकी जिन्दगी में आ रहे बदलाव उनको आज भी निहारते हैं। उसको कई सालों बाद फिर निहारना आज भी उनको अच्छा लगता है। रूहानी प्यार कभी खत्म नहीं होता। वो हमेशा हमारे साथ कदम दर कदम चलता है। वो दूर रहकर भी हमको ऊर्जावान बनाता है।

Monday, March 1, 2010

तू मेरे साथ

देश-विदेश  बादलों के पार सपनों के गाँव यादों की गलियाँ और ज़िंदगी की साँसें ...

तू मेरे साथ वहाँ थी, जानां !!

कोई फूलों की झुकी हुई डाली ;जिसे तुमने हँसते हुए छुआ हो...

किसी झरने की तेज आवाजें; जिसने मुझे मुग्ध किया हो ...

कोई शांत बहती नीली नदी; जिसमें हमने सपनों को तैरते देखा हो ...

कोई दहकती हुई सिन्दूरी शाम; जिसने हमारी झोली रंगों से भरी हो

किसी अनजान देवता की आरती ;जिसमें तुमने मेरे संग दिये सजाया हो ...

कोई गहरे लाल सूरज की किरणें ; जो तेरे चेहरे पर पड़ रही हो ...

किसी शांत फुसफुसाते जंगल में तुम्हारी मुस्कराहट की आवाजें हो ...

कोई अजनबी सा जाना शहर जहाँ मैं तेरा नाम लेता हूँ...

 तू मेरे साथ वहाँ थी, जानां!!!...कोई लबों के किस्से हो

कोई आँखों की बातें हो कोई जिंदगी के अहसासों की रातें हो

जहाँ मैंने जिंदगी जिया था ... तू मेरे साथ वहाँ थी, जानां!!!