Saturday, July 10, 2010
सच्चा प्रेम
मोहब्बत रूह की खुराक है। यह वह अमृत बूँद है, जो मरे हुए भावों को जिन्दा करती है। यह जिन्दगी की सबसे पाक, सबसे ऊँची, सबसे मुबारक बरकत है।'
मोहब्बत एक एहसास है, जिसे रूह से महसूस किया जा सकता है। यह उस अनादि अनंत ईश्वर की तरह है, जो सृष्टि के कण-कण में विद्यमान है। प्यार, जो हमारे संपूर्ण जीवन में विभिन्न रूपों में सामने आता है। जो यह एहसास दिलाता है कि जिन्दगी कितनी खूबसूरत है। डॉ. महावीरप्रसाद द्विवेदी ने 'प्रेम' की व्याख्या कुछ इस तरह की है कि - 'प्रेम से जीवन को अलौकिक सौंदर्य प्राप्त होता है। प्रेम से जीवन पवित्र और सार्थक हो जाता है। प्रेम जीवन की संपूर्णता है।' सृष्टि में जो कुछ सुकून भरा है, प्रेम है। प्रेम ही है, जो संबंधों को जीवित रखता है। परिवार के प्रति प्रेम, जिम्मेदारी सिखाता है।
प्रेम इंसान को विनम्र बना देता है। रूखे से रूखे और क्रूर से क्रूर इंसान के मन में यदि किसी के प्रति प्रेम की भावना जन्म ले लेती है, तो संपूर्ण प्राणी जगत के लिए वह विनम्र हो जाता है। ऐसे कई उदाहरण हमारे ग्रंथों में मिलते हैं। प्रेम चाहे व्यक्ति विशेष के प्रति हो या ईश्वर के प्रति। आश्चर्यजनक रूप से उसकी सोच, उसका व्यवहार, उसकी वाणी सबकुछ परिवर्तित हो जाता है।
प्यार, जिन्दगी का सबसे हसीन जज्बा है। बोलने में यह जितना मीठा है, उसका एहसास उतना ही खूबसूरत और प्यारा है। प्यार के एहसास को शब्दों में नहीं बाँधा जा सकता। उसे व्यक्त करने की आवश्यकता भी नहीं होती। व्यक्ति की आँखें, चेहरा, हाव-भाव यहाँ तक कि उसकी साँसें दिल का सब भेद खोल देती हैं।
प्रेम की अनोखी दुनिया में खोकर कोई बाहर आना ही नहीं चाहता। वह जिसे प्यार करता है, खुली आँखों से भी उसी के सपने देखता है। उसके साथ बिताई घड़ियों को बार-बार याद करता है। उसके लिए सजना-सँवरना चाहता है। यही नहीं, औरों से बात करते हुए भी उसी का जिक्र चाहता है। यही प्यार का दीवानापन है और इस दीवानेपन में जो आनंद है, वह संसार की किसी भौतिकता में नहीं है।
प्रेम शाश्वत है। प्रेम सोच-समझकर की जाने वाली चीज नहीं है। कोई कितना भी सोचे, यदि उसे सच्चा प्रेम हो गया तो उसके लिए दुनिया की हर चीज गौण हो जाती है। प्रेम की अनुभूति विलक्षण है। प्यार कब हो जाता है, पता ही नहीं चलता। इसका एहसास तो तब होता है, जब मन सदैव किसी का सामीप्य चाहने लगता है। उसकी मुस्कुराहट पर खिल उठता है। उसके दर्द से तड़पने लगता है। उस पर सर्वस्व समर्पित करना चाहता है, बिना किसी प्रतिदान की आशा के।
'प्रेम चतुर मनुष्यों के लिए नहीं है। वह तो शिशु-से सरल हृदय की वस्तु है।' सच्चा प्रेम प्रतिदान नहीं चाहता, बल्कि उसकी खुशियों के लिए बलिदान करता है। प्रिय की निष्ठुरता भी उसे कम नहीं कर सकती। वास्तव में प्रेम के पथ में प्रेमी और प्रिय दो नहीं, एक हुआ करते हैं। एक की खुशी दूसरे की आँखों में छलकती है और किसी के दुःख से किसी की आँख भर आती है।
प्रेम एक संजीवनी शक्ति है। संसार के हर दुर्लभ कार्य को करने के लिए यह प्यार संबल प्रदान करता है। आत्मविश्वास बढ़ाता है। यह असीम होता है। इसका केंद्र तो होता है लेकिन परिधि नहीं होती।' प्रेम एक तपस्या है, जिसमें मिलने की खुशी, बिछड़ने का दुःख, प्रेम का उन्माद, विरह का ताप सबकुछ सहना होता है। प्रेम की पराकाष्ठा का एहसास तो तब होता है, जब वह किसी से दूर हो जाता है।
'प्रेम अपनी गहराई को वियोग की घड़ियाँ आ पहुँचने तक स्वयं नहीं जानता।' प्रेम विरह की पीड़ा को वही अनुभव कर सकता है, जिसने इसे भोगा है। इस पीड़ा का एहसास भी सुखद होता है। दूरी का दर्द मीठा होता है। वो कसक उठती है मन में कि बयान नहीं किया जा सकता। दूरी प्रेम को बढ़ाती है और पुनर्मिलन का वह सुख देती है, जो अद्वितीय होता है। प्यार के इस भाव को इस रूप को केवल महसूस किया जा सकता है। इसकी अभिव्यक्ति कर पाना संभव नहीं है। बिछोह का दुःख मिलने न मिलने की आशा-आशंका में जो समय व्यतीत होता है, वह जीवन का अमूल्य अंश होता है। उस तड़प का अपना एक आनंद है।
प्यार और दर्द में गहरा रिश्ता है। जिस दिल में दर्द ना हो, वहाँ प्यार का एहसास भी नहीं होता। किसी के दूर जाने पर जो खालीपन लगता है, जो टीस दिल में उठती है, वही तो प्यार का दर्द है। इसी दर्द के कारण प्रेमी हृदय कितनी ही कृतियों की रचना करता है।
प्रेम को लेकर जो साहित्य रचा गया है, उसमें देखा जा सकता है कि जहाँ विरह का उल्लेख होता है, वह साहित्य मन को छू लेता है। उसकी भाषा स्वतः ही मीठी हो जाती है, काव्यात्मक हो जाती है। मर्मस्पर्शी होकर सीधे दिल पर लगती है।
प्रेम में नकारात्मक सोच के लिए कोई जगह नहीं होती। जो लोग प्यार में असफल होकर अपने प्रिय को नुकसान पहुँचाने का कार्य करते हैं, वे सच्चा प्यार नहीं करते। प्रेम सकारण भी नहीं होता। प्रेम तो हो जाने वाली चीज है। किसी के खयालों में खोकर खुद को भुला देना, उसके सभी दर्द अपना लेना, स्वयं को समर्पित कर देना, उसकी जुदाई में दिल में एक मीठी चुभन महसूस करना, हर पल उसका सामीप्य चाहना, उसकी खुशियों में खुश होना, उसके आँसुओं को अपनी आँखों में ले लेना, हाँ यही तो प्यार है। इसे महसूस करो और खो जाओ उस सुनहरी अनोखी दुनिया में, जहाँ सिर्फ सुकून है।
मोहब्बत एक एहसास है, जिसे रूह से महसूस किया जा सकता है। यह उस अनादि अनंत ईश्वर की तरह है, जो सृष्टि के कण-कण में विद्यमान है। प्यार, जो हमारे संपूर्ण जीवन में विभिन्न रूपों में सामने आता है। जो यह एहसास दिलाता है कि जिन्दगी कितनी खूबसूरत है। डॉ. महावीरप्रसाद द्विवेदी ने 'प्रेम' की व्याख्या कुछ इस तरह की है कि - 'प्रेम से जीवन को अलौकिक सौंदर्य प्राप्त होता है। प्रेम से जीवन पवित्र और सार्थक हो जाता है। प्रेम जीवन की संपूर्णता है।' सृष्टि में जो कुछ सुकून भरा है, प्रेम है। प्रेम ही है, जो संबंधों को जीवित रखता है। परिवार के प्रति प्रेम, जिम्मेदारी सिखाता है।
प्रेम इंसान को विनम्र बना देता है। रूखे से रूखे और क्रूर से क्रूर इंसान के मन में यदि किसी के प्रति प्रेम की भावना जन्म ले लेती है, तो संपूर्ण प्राणी जगत के लिए वह विनम्र हो जाता है। ऐसे कई उदाहरण हमारे ग्रंथों में मिलते हैं। प्रेम चाहे व्यक्ति विशेष के प्रति हो या ईश्वर के प्रति। आश्चर्यजनक रूप से उसकी सोच, उसका व्यवहार, उसकी वाणी सबकुछ परिवर्तित हो जाता है।
प्यार, जिन्दगी का सबसे हसीन जज्बा है। बोलने में यह जितना मीठा है, उसका एहसास उतना ही खूबसूरत और प्यारा है। प्यार के एहसास को शब्दों में नहीं बाँधा जा सकता। उसे व्यक्त करने की आवश्यकता भी नहीं होती। व्यक्ति की आँखें, चेहरा, हाव-भाव यहाँ तक कि उसकी साँसें दिल का सब भेद खोल देती हैं।
प्रेम की अनोखी दुनिया में खोकर कोई बाहर आना ही नहीं चाहता। वह जिसे प्यार करता है, खुली आँखों से भी उसी के सपने देखता है। उसके साथ बिताई घड़ियों को बार-बार याद करता है। उसके लिए सजना-सँवरना चाहता है। यही नहीं, औरों से बात करते हुए भी उसी का जिक्र चाहता है। यही प्यार का दीवानापन है और इस दीवानेपन में जो आनंद है, वह संसार की किसी भौतिकता में नहीं है।
प्रेम शाश्वत है। प्रेम सोच-समझकर की जाने वाली चीज नहीं है। कोई कितना भी सोचे, यदि उसे सच्चा प्रेम हो गया तो उसके लिए दुनिया की हर चीज गौण हो जाती है। प्रेम की अनुभूति विलक्षण है। प्यार कब हो जाता है, पता ही नहीं चलता। इसका एहसास तो तब होता है, जब मन सदैव किसी का सामीप्य चाहने लगता है। उसकी मुस्कुराहट पर खिल उठता है। उसके दर्द से तड़पने लगता है। उस पर सर्वस्व समर्पित करना चाहता है, बिना किसी प्रतिदान की आशा के।
'प्रेम चतुर मनुष्यों के लिए नहीं है। वह तो शिशु-से सरल हृदय की वस्तु है।' सच्चा प्रेम प्रतिदान नहीं चाहता, बल्कि उसकी खुशियों के लिए बलिदान करता है। प्रिय की निष्ठुरता भी उसे कम नहीं कर सकती। वास्तव में प्रेम के पथ में प्रेमी और प्रिय दो नहीं, एक हुआ करते हैं। एक की खुशी दूसरे की आँखों में छलकती है और किसी के दुःख से किसी की आँख भर आती है।
प्रेम एक संजीवनी शक्ति है। संसार के हर दुर्लभ कार्य को करने के लिए यह प्यार संबल प्रदान करता है। आत्मविश्वास बढ़ाता है। यह असीम होता है। इसका केंद्र तो होता है लेकिन परिधि नहीं होती।' प्रेम एक तपस्या है, जिसमें मिलने की खुशी, बिछड़ने का दुःख, प्रेम का उन्माद, विरह का ताप सबकुछ सहना होता है। प्रेम की पराकाष्ठा का एहसास तो तब होता है, जब वह किसी से दूर हो जाता है।
'प्रेम अपनी गहराई को वियोग की घड़ियाँ आ पहुँचने तक स्वयं नहीं जानता।' प्रेम विरह की पीड़ा को वही अनुभव कर सकता है, जिसने इसे भोगा है। इस पीड़ा का एहसास भी सुखद होता है। दूरी का दर्द मीठा होता है। वो कसक उठती है मन में कि बयान नहीं किया जा सकता। दूरी प्रेम को बढ़ाती है और पुनर्मिलन का वह सुख देती है, जो अद्वितीय होता है। प्यार के इस भाव को इस रूप को केवल महसूस किया जा सकता है। इसकी अभिव्यक्ति कर पाना संभव नहीं है। बिछोह का दुःख मिलने न मिलने की आशा-आशंका में जो समय व्यतीत होता है, वह जीवन का अमूल्य अंश होता है। उस तड़प का अपना एक आनंद है।
प्यार और दर्द में गहरा रिश्ता है। जिस दिल में दर्द ना हो, वहाँ प्यार का एहसास भी नहीं होता। किसी के दूर जाने पर जो खालीपन लगता है, जो टीस दिल में उठती है, वही तो प्यार का दर्द है। इसी दर्द के कारण प्रेमी हृदय कितनी ही कृतियों की रचना करता है।
प्रेम को लेकर जो साहित्य रचा गया है, उसमें देखा जा सकता है कि जहाँ विरह का उल्लेख होता है, वह साहित्य मन को छू लेता है। उसकी भाषा स्वतः ही मीठी हो जाती है, काव्यात्मक हो जाती है। मर्मस्पर्शी होकर सीधे दिल पर लगती है।
प्रेम में नकारात्मक सोच के लिए कोई जगह नहीं होती। जो लोग प्यार में असफल होकर अपने प्रिय को नुकसान पहुँचाने का कार्य करते हैं, वे सच्चा प्यार नहीं करते। प्रेम सकारण भी नहीं होता। प्रेम तो हो जाने वाली चीज है। किसी के खयालों में खोकर खुद को भुला देना, उसके सभी दर्द अपना लेना, स्वयं को समर्पित कर देना, उसकी जुदाई में दिल में एक मीठी चुभन महसूस करना, हर पल उसका सामीप्य चाहना, उसकी खुशियों में खुश होना, उसके आँसुओं को अपनी आँखों में ले लेना, हाँ यही तो प्यार है। इसे महसूस करो और खो जाओ उस सुनहरी अनोखी दुनिया में, जहाँ सिर्फ सुकून है।
Friday, July 9, 2010
ISHQ KARNAY K BHI KUCH AADAB HOTAY HAIN..
JAGTI ANKHOON MAI BHI KUCH KHAWAB HOTAY HAIN..
HAR KOI ROO DAY YA ZARORI TU NAHI..... See More
KHUSHK ANKHOON MAI BHI SAYLAB HOTAY HAIN
Mohobbat me shumar kesa, yakeen kesa, guman kesa, urooj kesa, zawal kesa, sawal kesa,jawab kesa? Mohobat to mohobat he, mohobat me hisab kesa?
jana hai toh jao ..kisne roka hai ..mai to khamosh sa baithaa hun ..shayad ..tumne meri dhadkano ko suna hai
पर है उधार तुम पर.. के.. आंख ना भिगोना !!!
तारा तुम्हारे दिल का न्यारा बना हूँ अब भी ...भगवान् जब बुलाएं जाना पड़ा है तब ही ....मुझको भी माँ बुलाया ..उनमे समां गया हूँ ...ये आँख ना भिगोना तुम पर उधार डाला ...जब याद मेरी आये अम्बर निहार लेना..हूँ यहीं आस पास .. तुम ना उदास होना..पर है उधार तुम पर.. के.. आँख ना भिगोना!!
उसके करीब रहकर प्यारा बना हूँ अब भी ..भगवान् जब बुलाएं जाना पड़ा है तब ही....पापा लगता हूँ उड़ रहा....अपना सपना ही जी रहा ,,,छू नहीं पाते हो तो क्या ... मैं तो दिलों में रह रहा ... हूँ यहीं आस पास .. तुम ना उदास होना..पर है उधार तुम पर.. के.. आँख ना भिगोना!!
ओ मेरे प्यारे भैया ..सब कुछ मिला यहाँ पर ..ढेरों यहाँ खिलौने ..गुलशन खिला यहाँ पर..गर याद आ सताए बचपन निहार लेना....यादों के संदूक से खुशियाँ उधार लेना.... रो लेना गर चाहो रोना.. पर ज़िन्दगी को आगे बढ़कर जीना..हूँ यहीं आस पास .. तुम ना उदास होना..पर है उधार तुम पर.. के.. आँख ना भिगोना !!
JAGTI ANKHOON MAI BHI KUCH KHAWAB HOTAY HAIN..
HAR KOI ROO DAY YA ZARORI TU NAHI..... See More
KHUSHK ANKHOON MAI BHI SAYLAB HOTAY HAIN
Mohobbat me shumar kesa, yakeen kesa, guman kesa, urooj kesa, zawal kesa, sawal kesa,jawab kesa? Mohobat to mohobat he, mohobat me hisab kesa?
jana hai toh jao ..kisne roka hai ..mai to khamosh sa baithaa hun ..shayad ..tumne meri dhadkano ko suna hai
पर है उधार तुम पर.. के.. आंख ना भिगोना !!!
तारा तुम्हारे दिल का न्यारा बना हूँ अब भी ...भगवान् जब बुलाएं जाना पड़ा है तब ही ....मुझको भी माँ बुलाया ..उनमे समां गया हूँ ...ये आँख ना भिगोना तुम पर उधार डाला ...जब याद मेरी आये अम्बर निहार लेना..हूँ यहीं आस पास .. तुम ना उदास होना..पर है उधार तुम पर.. के.. आँख ना भिगोना!!
उसके करीब रहकर प्यारा बना हूँ अब भी ..भगवान् जब बुलाएं जाना पड़ा है तब ही....पापा लगता हूँ उड़ रहा....अपना सपना ही जी रहा ,,,छू नहीं पाते हो तो क्या ... मैं तो दिलों में रह रहा ... हूँ यहीं आस पास .. तुम ना उदास होना..पर है उधार तुम पर.. के.. आँख ना भिगोना!!
ओ मेरे प्यारे भैया ..सब कुछ मिला यहाँ पर ..ढेरों यहाँ खिलौने ..गुलशन खिला यहाँ पर..गर याद आ सताए बचपन निहार लेना....यादों के संदूक से खुशियाँ उधार लेना.... रो लेना गर चाहो रोना.. पर ज़िन्दगी को आगे बढ़कर जीना..हूँ यहीं आस पास .. तुम ना उदास होना..पर है उधार तुम पर.. के.. आँख ना भिगोना !!
Thursday, July 8, 2010
kabhi puch kar dekho mujhse apni yaadon ka alam, sari sari raat sitaron se tera zikra kiya karte he
Jis waqt khuda ne tumhe banaya hoga, Ek suroor sa uske dil pe chaya hoga, Pehle socha hoga tujhe jannat mein rakh lun Phir usse mera
khayal aaya hoga.
jindagi malvi a nasib ni vaat che
mot malvu a samay ni vaat che
pan mot pachi pan koi na dil ma jivta revu
a jindagi ma karela karm ni vaat che
Jis waqt khuda ne tumhe banaya hoga, Ek suroor sa uske dil pe chaya hoga, Pehle socha hoga tujhe jannat mein rakh lun Phir usse mera
khayal aaya hoga.
jindagi malvi a nasib ni vaat che
mot malvu a samay ni vaat che
pan mot pachi pan koi na dil ma jivta revu
a jindagi ma karela karm ni vaat che
Tuesday, July 6, 2010
Monday, July 5, 2010
Tere Dhar se
Kahin Na Mile Wo Khushi Chahiye
Dard Kaisa B Ho Bandagi Chahiye
Mujhko Duniya Ki Ab Koi Khuwahish Nhi
Bas Jine ki koi Rah Chahiye
He mere data Mere Moula
Tere He Aage Haath Phelaon
Bas Muje Tere Charano ki Bandagi Chahiye
Tu Ho Jaye Raazi Sanwar Jaun Main
Bas Tere Dar se yahi Karuna Chahiye
Chahe Dubo de Chahe Taira de Mere Data
BaS Tere Darbar ki Khidmat Chahiye
Main Bhatak Jaun To Aasra Dey Mujhe
Teri hi Nigaho ki Rahbari Chahiye
Na karna Mujko Kudh se juda
Bas Teri itni hi to Kripa Chahiye
Dard Kaisa B Ho Bandagi Chahiye
Mujhko Duniya Ki Ab Koi Khuwahish Nhi
Bas Jine ki koi Rah Chahiye
He mere data Mere Moula
Tere He Aage Haath Phelaon
Bas Muje Tere Charano ki Bandagi Chahiye
Tu Ho Jaye Raazi Sanwar Jaun Main
Bas Tere Dar se yahi Karuna Chahiye
Chahe Dubo de Chahe Taira de Mere Data
BaS Tere Darbar ki Khidmat Chahiye
Main Bhatak Jaun To Aasra Dey Mujhe
Teri hi Nigaho ki Rahbari Chahiye
Na karna Mujko Kudh se juda
Bas Teri itni hi to Kripa Chahiye
अकेलापन...
अकेलापन...
अकेले होने का दर्द
बहोत ही होता है
कोई रौशनी ..कोई आशा नजर नहीं आती ..
गुरुभक्ति और गुरुसेवा की साधनारूपी नौका
का अनोखा बहाव
दे जाता है मुझे एक नयी पहचान
मुझसे मुस्कुराकर कहता है के
तुम अकेले नहीं हो ...
निर्भयता ही जीवन है, भय ही मृत्यु है
अकेले होने का दर्द
बहोत ही होता है
कोई रौशनी ..कोई आशा नजर नहीं आती ..
गुरुभक्ति और गुरुसेवा की साधनारूपी नौका
का अनोखा बहाव
दे जाता है मुझे एक नयी पहचान
मुझसे मुस्कुराकर कहता है के
तुम अकेले नहीं हो ...
निर्भयता ही जीवन है, भय ही मृत्यु है
मर्जी उनकी
अब मर्जी उनकी है , सिर्फ़ दिल ही हमारा है ,
अपना दर्द छुपा कर बहुत सह लिया हमने ,
वो दर्द सहे , न सहे , कह भी नही सकते ,
मेरी खुश्क आंखों में है आंसुओ का सैलाब ,
अब ये बहे , न बहे , कह भी नही सकते
अपना दर्द छुपा कर बहुत सह लिया हमने ,
वो दर्द सहे , न सहे , कह भी नही सकते ,
मेरी खुश्क आंखों में है आंसुओ का सैलाब ,
अब ये बहे , न बहे , कह भी नही सकते
Sunday, July 4, 2010
अर्धांगिनी...
अर्धांगिनी... साये की तरह मेरे व्यक्तित्व को सँभालते सँभालते अपना वजूद भी तुम खो देती हो ... ...इतनी एकरूप हो जाती हो तुम मुझसे , के धुप में अब तुम्हारा अपना साया भी नजर नही आता ...!
महसूस होता है जैसे तुमने स्वयं को विलय कर दिया है मुझमे ... मेरी फ़िक्र करती तुम्हारी निगाहें मुझे खिंच लाती है हर शाम ..भीड़ भाड़ भरी दुनिया से ... ! मेरी छोटीसी तकलीफ का एहसास रुका देता है ...तुम्हारी धडकन ...! तुम्हारी नजरों का क्षितिज ही .. मै हुं और मेरे इर्द गिर्द ही बसी है तुम्हारी दुनिया ...
कौन हो तुम ? 'अर्धागिनी' हो तुम मेरी और काश ... मेरे अंदर का 'पुरुष' इस बात को समझ पाता
महसूस होता है जैसे तुमने स्वयं को विलय कर दिया है मुझमे ... मेरी फ़िक्र करती तुम्हारी निगाहें मुझे खिंच लाती है हर शाम ..भीड़ भाड़ भरी दुनिया से ... ! मेरी छोटीसी तकलीफ का एहसास रुका देता है ...तुम्हारी धडकन ...! तुम्हारी नजरों का क्षितिज ही .. मै हुं और मेरे इर्द गिर्द ही बसी है तुम्हारी दुनिया ...
कौन हो तुम ? 'अर्धागिनी' हो तुम मेरी और काश ... मेरे अंदर का 'पुरुष' इस बात को समझ पाता
Saturday, July 3, 2010
Zindagi
Kuch Masum se Jajbat bhi hai
Kuch Un-dekhay Sapney Hain,
Chal raha tha raho me Dundhnta huwa Apni Manjil ko
Yahi soch dil ko sahara bhi de rahi thi
Tufan mein kashti ko kinare bhi milte hain
jahaan mein logon ko sahare bhi milte hain
duniya mein sabse pyari hai zindagi
Jo mere moula Rubru Karati hai muje Tumse
Par kya kare Mere data Teri Banyai Yah Zindagi
Har kadam pe imtihaan leti hai Zindagi
Her waqt naye Kushiya deti hai Zindagi
Nahi Hai Koi shikwa Zindagi se
Apse Milke ki rah bhi to batati hai Zindagi
Kaise ada karu Shukar Is Zindagi ka
Payar ke Samunder me Dubhoti bhi hai Zindagi
Labo pe hasi aur Dil ko Sakun bhi deti hai Zindagi
Kar lo Pyar Zindagi se kyoki Pyar ki Malika hai Zindagi
Karo Aitbar Had se jyada , Karo Pyar Sagar se jyada
kyoki Jine ki Rah Batati hai Zindagi
Kabi Hasati Hai , Kabhi Rulati Hai Zindagi
Par Har lamho me Payar Jatati hai Zindagi
Kuch Un-dekhay Sapney Hain,
Chal raha tha raho me Dundhnta huwa Apni Manjil ko
Yahi soch dil ko sahara bhi de rahi thi
Tufan mein kashti ko kinare bhi milte hain
jahaan mein logon ko sahare bhi milte hain
duniya mein sabse pyari hai zindagi
Jo mere moula Rubru Karati hai muje Tumse
Par kya kare Mere data Teri Banyai Yah Zindagi
Har kadam pe imtihaan leti hai Zindagi
Her waqt naye Kushiya deti hai Zindagi
Nahi Hai Koi shikwa Zindagi se
Apse Milke ki rah bhi to batati hai Zindagi
Kaise ada karu Shukar Is Zindagi ka
Payar ke Samunder me Dubhoti bhi hai Zindagi
Labo pe hasi aur Dil ko Sakun bhi deti hai Zindagi
Kar lo Pyar Zindagi se kyoki Pyar ki Malika hai Zindagi
Karo Aitbar Had se jyada , Karo Pyar Sagar se jyada
kyoki Jine ki Rah Batati hai Zindagi
Kabi Hasati Hai , Kabhi Rulati Hai Zindagi
Par Har lamho me Payar Jatati hai Zindagi
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