Wednesday, April 28, 2010

ओ पवित्रा ! मृदुल शीतल उँगलियों से छू दिया तुमने माथ मेरा — मुश्किलें उस क्षण गया सब भूल ! खिल गये उर में हज़ार-हज़ार टटके फूल ! खो गये पथ के अनेकानेक शूल-बबूल !

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