Kisi k dil me aapki dhadkan aj bhi hai ,
Kisi ki nazr me aapka didar aj bhi hai ,
Agar zindagi se ho shikayat to yad karna ,
Kisi ki zindagi me aapki kami aj bhi hai
Thursday, February 25, 2010
Sunday, February 7, 2010
मन ही मन मै उससे करता हू
निरंतर वार्तालाप बदले मे
उसके नयन करते है मुझसे -मूक संवाद
मेरे भीतर -उसकी परछाई ..होती ही है साथ
उसे -मुझसे अलग नही कर पाते
सागर की उंची उंची -लहरों के भी हाथ
हमारी खामोश बातो कों अनसुना कर
जानते हुवे भी -अनभिग्य रहता है
खुला सारा आकाश हमारे इस अदृश्य मिलन कों
कोई नही पाता जान न नदी के -
शाश्वत मोड़ न लहरो को छूकर
सीढियों सा -किनारों तक चढ़ते आये
बेतरतीब पाषाण दुनिया वालो की दृष्टी मे -
मानो -छिपने मे ...हम दोनों के अंतर्मन हो निष्णात
ऐसे तो -जीवन मे -प्रतिकूल ही बहती है वक्त की धार
कभी वह बन जाती है नाव कभी भी मै बन जाता हू
पतवार थक जाते है तो -आओ करो विश्राम
यह कह कर बुला लेती है .......
रेत पर बिखरी बबूल की छाँव
मै उससे पूछता आया हू -कब तुम
चमुच बोलोगी और मै सुनूंगा कल्पना ...!!
तुम्हारी मधुर आवाज लेकिन ......
आज जब उसने कहा स्वप्न मे -
मै बोल रही हू ,तुम्हारी कल्पना
मै तो हू ही तुम्हारे हरदम पास
निरंतर वार्तालाप बदले मे
उसके नयन करते है मुझसे -मूक संवाद
मेरे भीतर -उसकी परछाई ..होती ही है साथ
उसे -मुझसे अलग नही कर पाते
सागर की उंची उंची -लहरों के भी हाथ
हमारी खामोश बातो कों अनसुना कर
जानते हुवे भी -अनभिग्य रहता है
खुला सारा आकाश हमारे इस अदृश्य मिलन कों
कोई नही पाता जान न नदी के -
शाश्वत मोड़ न लहरो को छूकर
सीढियों सा -किनारों तक चढ़ते आये
बेतरतीब पाषाण दुनिया वालो की दृष्टी मे -
मानो -छिपने मे ...हम दोनों के अंतर्मन हो निष्णात
ऐसे तो -जीवन मे -प्रतिकूल ही बहती है वक्त की धार
कभी वह बन जाती है नाव कभी भी मै बन जाता हू
पतवार थक जाते है तो -आओ करो विश्राम
यह कह कर बुला लेती है .......
रेत पर बिखरी बबूल की छाँव
मै उससे पूछता आया हू -कब तुम
चमुच बोलोगी और मै सुनूंगा कल्पना ...!!
तुम्हारी मधुर आवाज लेकिन ......
आज जब उसने कहा स्वप्न मे -
मै बोल रही हू ,तुम्हारी कल्पना
मै तो हू ही तुम्हारे हरदम पास
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