Tuesday, March 16, 2010

रिश्तों की चौखट पे ठोकर है खाई।


अपने परायों की समझ भी न आई।

सच्चा जो तेरा रिश्ता न मिलता।

ये जीवन हमारा दुबारा न खिलता।।

किस्मत की मौजों ने कश्ती डुबोयी।

जब सब लुटा तो तेरी याद आई।

अगर मेरी किश्ती को सहारा न मिलता।

ये जीवन हमारा दुबारा न खिलता।।

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