रिश्तों की चौखट पे ठोकर है खाई।
अपने परायों की समझ भी न आई।
सच्चा जो तेरा रिश्ता न मिलता।
ये जीवन हमारा दुबारा न खिलता।।
किस्मत की मौजों ने कश्ती डुबोयी।
जब सब लुटा तो तेरी याद आई।
अगर मेरी किश्ती को सहारा न मिलता।
ये जीवन हमारा दुबारा न खिलता।।
Tuesday, March 16, 2010
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