मैं अक्सर हौले से चलकर घर आ जाता हूँ
तुम्हारे साथ में बैठकर तुम्हें देख भी लेता हूँ ;
और जब तुम घर के काम कर रही होती हो तो,
मैं तुमसे बातें करते रहता हूँ ...मैं तुमसे प्यार करता हूँ ...
तेरे हाथों के कौरों में मेरा भी तो हिस्सा होता है ...
तुम जब चलती हो घर में ; एक कमरे से दूसरे कमरे में जाते हुए,
मैं भी तो होता हूँ उन्हीं कदमों के साथ ..
और जब तुम नींद में जाती हो ;तो मैं भी वहाँ लेटा हुआ देखते रहता हूँ ...
और अपनी ऊँगली से तेरा और मेरा ;नाम लिखते रहता हूँ ...
और जब तुम यूँ ही अचानक हवा में मुझे ढूँढती हो;
तो मैं मुस्कराता हूँ ...फिर देखता हूँ कि ;
तुम्हारी आँखों की छोर पर एक बूँद आँसू की ठहरी हुई होती हैं;
मेरा नाम लिए हुए..तुम उसे पोंछ देती हो ;
ये देखते हुए कि किसी ने देखा तो नहीं...
मैं तब भी वहीं होता हूँ जानां!!!
Thursday, March 25, 2010
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