पलकें हो भीगीं और होठों पर मुस्कान हो ऐसे में खिलखिलाने में मजा ही कुछ और है।
कहने पर तो सब समझ लेते हैं खामोशी को कोई समझे तो मजा और है।
मतलब को तो सब चाहने वाले हो जाते हैं अपने से बढ़कर अगर कोई चाहे तो मजा और है
आँखें बंद करके गुनगुनाने में मजा और है भीगी हो जब आँखें तब मुस्कुराने में मजा और है
उम्र यों बिताना ही जिंदगी नहीं जी भरकर जियो तो मजा कुछ और ही है।
मुस्कुराना ही जिंदगी नहीं होती रोतों को हँसाओं तो मजा और ही है
दोस्त कहने भर से कुछ नहीं होता दोस्त को रोज याद करो तो मजा कुछ और ही है
दोस्त तुम-सा अगर हो जीवन में जीवन की बगिया की रंगत कुछ और ही है।।
Monday, March 8, 2010
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