खिले थे गुलाबी, नीले, हरे और जामुनी फूल
हर उस जगह महक उठी थी केसर
जब मुस्कुराए थे तुम, और भीगी थी मेरे मन की तमन्ना
मैं यादों के भँवर में उड़ रही हूँ किसी पीपल पत्ते की तरह,
तुम आ रहे हो ना थामने आज ख्वाबों में,
मन कहीं खोना चाहता है तुम्हारे लिए, तुम्हारे बिना।
Sunday, March 28, 2010
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