बेटियाँ शुभकामनाएँ हैं, बेटियाँ पावन दुआएँ हैं।
बेटियाँ जीनत हदीसों की, बेटियाँ जातक कथाएँ हैं।
बेटियाँ गुरुग्रंथ की वाणी, बेटियाँ वैदिक ऋचाएँ हैं।
जिनमें खुद भगवान बसता है, बेटियाँ वे वन्दनाएँ हैं।
त्याग, तप, गुणधर्म, साहस की बेटियाँ गौरव कथाएँ हैं।
मुस्कुरा के पीर पीती हैं, बेटी हर्षित व्यथाएँ हैं।
लू-लपट को दूर करती हैं, ND बेटियाँ जल की घटाएँ हैं।
दुर्दिनों के दौर में देखा, बेटियाँ संवेदनाएँ हैं।
गर्म झोंके बने रहे बेटे, बेटियाँ ठण्डी हवाएँ हैं।
Sunday, December 6, 2009
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