Wednesday, December 16, 2009

माँ-बाप अपने बच्चे के लिए जमाने भर के खिलौने खरीदते हैं जो कभी न कभी टूट जाते हैं लेकिन अपने बच्चे को छोटा भाई या बहन देकर वह उसे ऐसा जीता जागता खिलौना देते हैं जो उनके दुनिया से जाने के बाद भी बच्चे को अकेलेपन का अहसास नहीं होने देता।


जिस भाई या बहन से हम बचपन में लड़ते झगड़ते हैं और खेलते हैं उसके बारे में शायद ही कभी गहराई से यह सोचा जाता हो कि वह माँ- बाप की कितनी खूबसूरत देन है।

 माँ-बाप तो हमेशा दुनिया में नहीं बैठे रहेंगे। तो उनके जाने के बाद कोई तो ऐसा हो जिससे इंसान जिंदगी में अपना सुख-दुख बाँट सके और इसके लिए भाई या बहन से बेहतर रिश्ता कोई नहीं हो सकता है।

 भाई या बहन के साथ बचपन गुजारने वाले बच्चे अधिक आत्मविश्वासी कुशाग्र बुद्धि तथा सामंजस्य बिठाने वाले होते हैं।
 आज एक तो कामकाजी माता-पिता के पास बच्चों के लिए वैसे ही समय नहीं है और उस पर यदि बच्चा घर में भी अकेला है तो वह किससे अपनी भावनाएँ व्यक्त करे किसके साथ खेले।

 भले ही माँ- बाप कितना भी क्वालिटी समय बच्चे के साथ गुजारें लेकिन वह बच्चे के हमउम्र नहीं बन सकते। जो साथ बच्चे को अपने भाई बहन के साथ मिलता है उसकी किसी भी खिलौने से भरपाई नहीं की जा सकती।

सगे भाई बहनों में आपसी प्रतिद्वंद्विता भी होती है लेकिन यह स्वाभाविक है और समय के साथ यह अपने आप समाप्त हो जाती है। लेकिन भाई या बहन का रिश्ता शायद माँ-बाप के रिश्ते के बाद दुनिया का सबसे खूबसूरत रिश्ता होता है।

 वे बच्चे बेहद खुशनसीब हैं जिनके भाई या बहन हैं क्योंकि माँ या बाप के बाद कोई भी बच्चा खुद को सबसे अधिक सुरक्षित अपने भाई या बहन की संगत में ही महसूस करता है।

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