Sunday, May 30, 2010

सॉरी

सॉरी वास्तव में बहुत ही प्यारा शब्द है। हर रिश्ते में कभी न कभी मतभेद हो ही जाते हैं। बेहतर यह है कि रिश्तों में अहंकार हावी न होने दें। विवादों या लड़ाई-झगड़ से दूर रहने का एक आसान उपाय है अहंकार छोड़ देना और सॉरी बोलना सीख लेना। हालांकि सॉरी बोलना भी एक कला है जो हर किसी को नहीं आती। यह भी एक हुनर की तरह ही है जिसे आप जितना जल्दी हो सके, सीख लें। आपके दोस्तों, पति-पत्नी, बॉस, माता-पिता आदि से अपने संबंधों को बनाए रखने के लिए यह बेहद जरूरी है।

अपनी ओर से विवादों को बढ़ने का मौका कभी नहीं देना चाहिए। रिश्ते में नाराजगी आने के बाद जीवन नरक की तरह लगने लगता है। कई बार हालात इस तरह के बन जाते हैं कि हम समझ नहीं पाते और संबंधों में कटुता बढ़ती चली जाती है लेकिन सॉरी बोलने से इसका समाधान किया जा सकता है।

लेकिन हमें पता ही नहीं होता कि सॉरी बोलें तो कैसे? सॉरी बोलने का सही तरीका आपके जीवन में आने वाली अनेक कठिनाइयों को दूर कर सकता है जिससे काफी हद तक रिश्तों में आई कड़वाहट कम हो सकती है। हम सॉरी बोलने से केवल इसलिए कतराते हैं कि कहीं हम गलत साबित न हो जाएं। लेकिन ऐसा नहीं है। जब हम सॉरी बोलते हैं तो वास्तव में हम महानता की और बढ़ते हैं।

हमें सॉरी इस तरह से कहनी चाहिए जिससे हमारे जीवनसाथी, दोस्त या रिश्तेदार को ऐसा लगे कि हम अपने किए पर वास्तव में शर्मिंदा हैं और हमें अपनी गलती का अहसास हो गया है। हम कई बार सॉरी बोलने में काफी असहजता महसूस करते हैं। लेकिन सॉरी बोलने से आत्मा तो पवित्र होती ही है, साथ ही मन की पीड़ा भी दूर हो जाती है।

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