किताबों में नदियाँ होती हैं
किताबें खुद ज्ञान की नदियाँ होती हैं।
किताबों में सुंदर पेड़ होते हैं
किताबें खुद शिक्षा का पेड़ होती हैं।
किताबों में सुगंधित फूल सजे होते हैं
किताबें खुद देर तक मन में महकती है।
किताबों में चिड़िया उड़ती है
किताबें खुद मनोरंजन करती चिड़िया होती है।
किताबों से दोस्त बनते हैं
किताबें खुद एक अच्छी और सच्ची दोस्त होती है।
Thursday, April 29, 2010
दूर गगन में
जिस दिन सूरज थोडा भी न पिघले
और सड़कों पर बिखरा हो सूनापन
ऐसी किसी जलती दोपहर में तुम आना
सूखे पत्तों को समेटकर हम
आँगन का एक कोना चुनेंगे
नीम की ठंडी छाँव तले बैठ हम
हरियाली का सपना बुनेंगे
तुम आँखे मूँद लेना
मोगरे की महकती कलियों की
होगी एक सुंदर पतवार
मधुमालती के झूले को
हम उस पतवार से चलाएँगे
और दूर गगन में उड़ जाएँगे
उन हिम शिखरों तक, जहाँ से
बहती होगी गंगा-सी धवल धार
फिर तुम आँखे खोलना और देखना
कि तीखी धूप वाली दोपहरी
बदल गई है सिंदूरी शाम में
और चाँदनी के दीये जल उठें हैं
देवदार की कतार में।
दुःख के हिरन चौकड़ी भर कर
अँधेरे में विलीन हो गए है।
एक-दूजे का हाथ थाम हम
किसी पहाड़ी राग में खो गए हैं। दीपाली
जिस दिन सूरज थोडा भी न पिघले
और सड़कों पर बिखरा हो सूनापन
ऐसी किसी जलती दोपहर में तुम आना
सूखे पत्तों को समेटकर हम
आँगन का एक कोना चुनेंगे
नीम की ठंडी छाँव तले बैठ हम
हरियाली का सपना बुनेंगे
तुम आँखे मूँद लेना
मोगरे की महकती कलियों की
होगी एक सुंदर पतवार
मधुमालती के झूले को
हम उस पतवार से चलाएँगे
और दूर गगन में उड़ जाएँगे
उन हिम शिखरों तक, जहाँ से
बहती होगी गंगा-सी धवल धार
फिर तुम आँखे खोलना और देखना
कि तीखी धूप वाली दोपहरी
बदल गई है सिंदूरी शाम में
और चाँदनी के दीये जल उठें हैं
देवदार की कतार में।
दुःख के हिरन चौकड़ी भर कर
अँधेरे में विलीन हो गए है।
एक-दूजे का हाथ थाम हम
किसी पहाड़ी राग में खो गए हैं। दीपाली
Wednesday, April 28, 2010
Tuesday, April 27, 2010
ओस की बूंद सी होती है बेटियां पिताजी की दुलारी और जान से प्यारी होती है बेटियां स्पर्श अगर खुरदुरा हो तो रोती है बेटियां रोशन करेगा बेटा तो केवल एक ही कुल को दो दो कुलो की लाज होती है बेटियां ..हीरा अगर है बेटा तो सच्चा मोती होती है बेटियां ..कांटो की राह पर चलकर औरों की राहों मे फूल बिछाती है ...बेटियां ..कहने को परायी अमानत होती है बेटियां ..पर बेटो से बढकर अपनी पर बेटो से बढकर अपनी होती है बेटियां
Monday, April 26, 2010
जीवन — सरोबार है जीवंत हर रंग सी !
जीवन — 14-हजार योनियों पश्चात मिली रब की नेमत सी !
जीवन — सदिच्छाओं का है दूसरा नाम !
जीवन — जन्मान्तरों के शुभ कर्मों का सुखद परिणाम !
जीवन — चिलचिलाती दोपहर की धूप में आगे बढ़ने का अहसास !...
जीवन — कंठ-चुभती सूचियों के बोध से निजात की तीखी प्यास !
जीवन — ठहराव, स्थिरता, भरते घावों का अहसास !
जीवन — एक संन्यास समाज में तब्दीली का
जीवन — 14-हजार योनियों पश्चात मिली रब की नेमत सी !
जीवन — सदिच्छाओं का है दूसरा नाम !
जीवन — जन्मान्तरों के शुभ कर्मों का सुखद परिणाम !
जीवन — चिलचिलाती दोपहर की धूप में आगे बढ़ने का अहसास !...
जीवन — कंठ-चुभती सूचियों के बोध से निजात की तीखी प्यास !
जीवन — ठहराव, स्थिरता, भरते घावों का अहसास !
जीवन — एक संन्यास समाज में तब्दीली का
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