Monday, February 4, 2013

माता

कृतघ्न हैं वो जो माता को आहत करते हैं
कर्तव्‍यों से मुँह मोड़ अधिकारों का दावा करते हैं

संतान के रक्षण हेतु माता न जाने क्‍या क्‍या करती है
पीड़ाओं को सहकर भी आँचल की छाया देती है

कभी देवकी बनकर वो निरपराध ही दंड भोगती है
कभी अग्नि में पश्चाताप की कैकयी सी बन जलती है

No comments:

Post a Comment