माँ
मनुष्य जब माँ के गर्भ में होता है तो प्रार्थना करता है कि 'हे प्रभु ! तू मुझे इस दुःखद स्थिति से बाहर निकाल ले, मैं तेरा भजन करूँगा। वक्त व्यर्थ नहीं बिताऊँगा, तेरा भजन करके अपना जीवन सार्थक करूँगा।' यह वादा करके गर्भ से बाहर आता है। बाहर आते ही अपना वादा भूल जाता है
क्या आपने कभी सोचा है कि हमने माँ के गर्भ से जन्म लिया, माँ दाल-रोटी खाती है सब्जी रोटी खाती है उसमें से हमारे लिए जिसने दूध बनाया, उसको हमने क्या दिया ?
मनुष्य जब माँ के गर्भ में होता है तो प्रार्थना करता है कि 'हे प्रभु ! तू मुझे इस दुःखद स्थिति से बाहर निकाल ले, मैं तेरा भजन करूँगा। वक्त व्यर्थ नहीं बिताऊँगा, तेरा भजन करके अपना जीवन सार्थक करूँगा।' यह वादा करके गर्भ से बाहर आता है। बाहर आते ही अपना वादा भूल जाता है
क्या आपने कभी सोचा है कि हमने माँ के गर्भ से जन्म लिया, माँ दाल-रोटी खाती है सब्जी रोटी खाती है उसमें से हमारे लिए जिसने दूध बनाया, उसको हमने क्या दिया ?
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