Saturday, October 10, 2009

मेरी चाहत

मैं चाहता हूँ कि,
तुम्हें ढेर सारा प्यार मिले।
मनचाही खुशियों भरा एक नया संसार मिले।।
बेवफाई की इस अंधेरी दुनिया से कोसों दूर,
वफा के उजालों से भरा एक नया द्वार मिले..।

मैं चाहता हूँ कि,
तुम्हारे कदमों को भी एक नया साथ मिले।।
आईना बनकर सामने खड़ी रहो तुम,
ताकि दोनों रुहों को भी प्यार भरे जज्बात मिले..॥


मैं चाहता हूँ कि,
तुम्हारी झोली में हो इन्द्रधनुष के सातों रंग।
तुम हमेशा मुस्कुराती रहो रंगबिरंगी तितलियों के संग।।
मेरे इन ख्वाबों को भी एक सही मुकाम मिले,
इन अफसानों को भी हकीकत का नया नाम मिले ।।

मेरी जीवन संगनी

अँधेरी‍ रात में
जगमगाता दिया हो तुम
मेरी जीवनसंगिनी
मेरी प्राणप्रिया हो तुम

थामा है तुमने
जब से मेरा हाथ
तबसे जागी है मुझमें
जीवन जीने की आस

उम्र का यह पड़ाव
नहीं लगता अब मुझे भारी
गर मिलो तुम हर जनम
तो हँस के रूखसती की
कर लूँ मैं तैयारी

साथी चले हो तुम
दो कदम साथ
तो जीवनभर साथ निभाना
तन्हाई में छोड़ अकेला मुझे
तुम कहीं चली ना जाना।

प्यार में जल्दबाजी ना करो

जब हमें कोई चीज पसंद आती है तो हम उसे पाने के लिए तड़प उठते हैं। सारी कोशिश यही रहती है कि वह चीज हमें किसी भी तरह मिल जाए। जमीन-आसमान एक करने के बाद वह चीज हमें मिल तो जाती है पर थोड़े ही दिनों में हमें महसूस होने लगता है कि वह चीज हमारी उम्मीद पर खरी नहीं उतरी। पछतावा होता है कि नाहक हमने अपनी उतनी मेहनत, धन और समय उस पर बरबाद किया। ठीक यही तजुर्बा व अहसास रिश्तों में जल्दबाजी करने पर भी होता है। प्यार के रिश्ते की शुरुआत करने में धीमी गति से आगे बढ़ना बहुत ही समझदारी भरा लव मंत्र है।

जब दो लोग किसी भी कारणवश बार-बार मिलते हैं तो काम के अलावा भी संवाद बनता है। रोजमर्रा की बातों में हँसी-मजाक भी शामिल होने लगता है। पहचान बढ़ती जाती है तो एक-दूसरे से कभी तबीयत का हालचाल भी पूछने लगते हैं। भूख की बात सुनने पर कोई अपना टिफिन भी पेश कर देता है। कार्य या पढ़ाई आदि की समस्या आने पर सलाह-मशविरा भी करने लगते हैं। ज्यों-ज्यों सहजता बढ़ती जाती है प्रतिक्रिया ज्यादा निजी होती जाती है।

पोशाक, हेयर स्टाइल, स्मार्ट लुक, दुखी चेहरा, खुशी का कारण जैसे कमेंट करना आम बातचीत का हिस्सा बन जाता है। ये सारी बातें आम व्यवहारिकता की बातें हैं। इसे प्यार के रिश्ते की शुरुआत या बुनियाद नहीं कहा जा सकता। पर ऐसी ही सहज बातचीत को कई बार व्यक्ति बहुत ही गंभीरता से लेने लगता है। उसे उन सारी नोंक-झोंक और रोजमर्रा की मिजाज पुर्सी में प्यार का गुमान होने लगता है। अमूमन यह वहम पाल लिया जाता है कि सामने वाला भी प्यार में मुबतला है और इसीलिए सभी सहज व्यवहार को विशेष दृष्टि से देखने की कोशिश की जाती है। यदि बीमार पड़ने पर हमदर्दी के साथ हालचाल पूछ लिया गया तो प्यार का अनुमान लगाने वाली बात और भी पक्की मान ली जाती है।

मजेदार बात यह है कि सामने वाला बस इस व्यवहारिकता को सहजता से निभाता जा रहा होता है लेकिन मन में प्यार की गलतफहमी पालने वाला हर टिप्पणी, हर सहयोग, हंसी, छुअन आदि को बस प्यार की मुहर लगाकर ही देखने लगता है। जबकि सामने वाला इस विशेष विश्लेषण से बिल्कुल अनजान है। उसे रत्ती बराबर भी अंदेशा नहीं होता है कि उसके सामान्य से व्यवहार का अलग मतलब निकाला जा रहा है। उसे क्या पता है कि अपने मन में प्यार की खयाली दुनिया बसाकर कोई बहुत ही आगे बढ़ चुका है। और उसके बाद जब प्यार के मुगालते में रहने वाला अपनी मन की बात उस व्यक्ति के समक्ष रखता है तो सामने वाला हक्का-बक्का सा रह जाता है क्योंकि वह खुद को सामान्य दोस्त से ज्यादा कुछ भी नहीं समझता है। बहुत संभव है कि उसका पहले से ही किसी के साथ प्यार का रिश्ता हो।



अक्सर ऐसे लोग आत्महीनता एवं अविश्वास की भावना का शिकार हो जाते हैं। जीवन के किसी मोड़ पर जब उसे सही व्यक्ति मिलता है तो वह उस पर भी भरोसा नहीं कर पाता है।



ऐसे में जब वह व्यक्ति अपनी स्थिति साफ करता है तो प्यार का इजहार करने वाले के पैर के नीचे से जमीन खिसक जाती है। वह अवसाद में डूब जाता है। उसे लगता है उसके साथ धोखा हुआ है। उसकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया है। इलजाम यह लगाया जाता है कि पहले से ही यह स्थिति क्यों नहीं साफ की गई। वह यह मानने को तैयार नहीं होता है कि इतनी नजदीकियाँ नहीं थी कि उसे प्यार के रिश्ते के बारे में बताया नहीं जाता। यदि सामने वाला भलमनसाहत में नम्रता से पेश आता है और गलतफहमी से पहुँचने वाले दुख के प्रति संवेदनशीलता का भाव रखता है तो और भी मुश्किलें ज्यादा बढ़ जाती हैं।

इसकी वजह से एक तो प्रेम का इजहार करने वाला व्यक्ति उस मनोदशा से निकल नहीं पाता है, दूसरा यह मायने भी निकाला जाता है कि सामने वाले की गलती है इसीलिए उसे गिल्ट फील हो रहा है। इससे इजहार करने वाले की स्थिति और भी गंभीर हो जाती है और उस भ्रम को तोड़ पाना कठिन हो जाता है। वह बहुत दिनों तक मानसिक तनाव से गुजरता है।

अक्सर ऐसे लोग आत्महीनता एवं अविश्वास की भावना का शिकार हो जाते हैं। जीवन के किसी मोड़ पर जब उसे सही व्यक्ति मिलता है तो वह उस पर भी भरोसा नहीं कर पाता है। उसका आत्मविश्वास इतना हिल चुका होता है कि किसी की भावना की गहराई को न तो वह समझ पाता है और न ही उसका सही आकलन कर पाता है। सबसे दुखद यह होता है कि वह जीवन भर किसी के सामने कोई भी प्रस्ताव रखने से डरता है। दोस्तों, प्यार के मामले में जल्दबाजी करना ठीक नहीं है।
संपूर्ण मानव समाज के लिए प्रेम एक सर्वोत्तम सौगात है। प्रेम प्रकृति का वह अनमोल उपहार है जो मानव जाति के अस्तित्व हेतु अति आवश्यक है। यदि मनुष्य के हृदय से प्रेम समाप्त हो जाए तो मानव जाति के विनाश को शायद कोई न रोक सके।

प्रेम वह मधुर अहसास है जो जीवन में मिठास घोल देता है। कटुता दूर करने व वात्सल्य तथा भाईचारे के संचार में प्रेम की महती भूमिका है। मगर अफसोस! आज प्रेम का वह शाश्वत रूप नहीं रहा। प्रेम की नैसर्गिक अनुभूति आज आधुनिकता की चकाचौंध में कहीं खो गई है। वर्तमान में प्यार जैसे शब्द से सभी परिचित होंगे मगर सच्चे प्यार की परिभाषा क्या है, यह बहुत कम लोग जानते हैं।




वास्तव में तो प्यार अभी तक प्यार है जब तक उसमें विशालता व शुद्धता कायम है। अशुद्ध व सतही प्यार न केवल दो हृदयों के लिए नुकसानदायक है बल्कि भविष्य में जीवन के स्याह होने की वजह भी बन जाता है।



विशुद्धतम वही है जो प्रतिदान में कुछ पाने की लालसा नहीं रखता। आत्मा की गहराई तक विद्यमान आसक्ति ही सच्चे प्यार का प्रमाण है। सच्चा प्यार न तो शारीरिक सुंदरता देखता है और न ही आर्थिक या शैक्षणिक पृष्ठभूमि। सच्चा प्यार बस, प्रिय के सामिप्य का आकांक्षी होता है। निर्निमेष दृष्टि से देखने की भोली चाह के अतिरिक्त प्यार शायद ही कुछ और सोचता हो। वास्तव में तो प्यार अभी तक प्यार है जब तक उसमें विशालता व शुद्धता कायम है। अशुद्ध व सतही प्यार न केवल दो हृदयों के लिए नुकसानदायक है बल्कि भविष्य में जीवन के स्याह होने की वजह भी बन जाता है।

सच्चे प्यार का अहसास किया जा सकता। इसे शब्दों में अभिव्यक्त करना न केवल मुश्किल है बल्कि असंभव भी है। सच्चे प्यार में गहराई इतनी होती है कि चोट लगे एक को, तो दर्द दूसरे को होता है, एक के चेहरे की उदासी से दूसरे की आँखें छलछला आती हैं। सच्चे प्रेम का 'पुष्प' कोमल भावनाओं की भूमि पर आपसी विश्वास और मन की पवित्रता के संरक्षण में ही खिलता और महकता है। अब यह हम पर निर्भर करता है कि इसकी कोमल पंखुड़ियों पर सामाजिक बदनामी की अम्ल वर्षा करें या इसकी जड़ों को विश्वास एवं समर्पण के अमृत से सींचें।

मेरे दोस्त

तू है मेरी ताकत
तू है मेरा विश्वास
तूने जगाई मुझमें
जीने की नई आस
जीवन की कठिन डगर
और तेरा साथ
नहीं लगता डर मुझे
जब तू है मेरा हमराज

फिसलन में भी नहीं
लगता अब
गिरने का डर
थामा है तूने जो हाथ
डर ने छोड़ दिया है साथ
अब मुश्किलों से लड़ने को
जी चाहता है
अब कुछ कर गुजरने को
जी चाहता है।

तेरी हर हिदायत
करती है मुझे हर
खतरे से आगाह
तेरी हर डाँट-फटकार
भरती है मुझमें आत्मविश्वास
चलती हूँ अकेली
पर साथ होता है तू
हौसलों में ऊर्जा भरता
विश्वास होता है तू

दोस्त जीतूँगी हर बाजी
गर साथ होगा तू
छा जाएँगे दुनिया पर
गर हौंसला बनेगा तू
अब नहीं दुनिया से डर
अब किसी की नहीं फिक्र
छू लेंगे हम आसमाँ
हमारी मुट्ठी में होगा जहां।

तुम्हारी हँसी

प्राण! मुझ को लुभाती तुम्हारी हँसी
प्राण तक खनखनाती तुम्हारी हँसी।

चाँदनी-सी कभी, मोतियों-सी कभी
काँति ले जगमगाती तुम्हारी हँसी।

मैं कहीं भी, किसी हाल में भी रहूँ
याद आती, बुलाती तुम्हारी हँसी।

होंठ विद्रूम, नयन पद्मरागी छटा
रत्न-मोती लुटाती तुम्हारी हँसी।

खेल ही खेल में पारिजातक खिला
खिल स्वयं, खिलखिलाती तुम्हारी हँसी।

रात-दिन नील श्वेतांबुजों पर सदा
भृंग-सी गुनगुनाती तुम्हारी हँसी।

जिंदगी जब सताती-रूलाती मुझे,
धैर्य दे तब हँसाती तुम्हारी हँसी।

स्नेह भरती अथक देह के दीप में
ज्योति मन में जगाती तुम्हारी हँसी।

खूब हँसती रहो, मुस्कुराती रहो
यह तुम्हारी हँसी है हमारी हँसी।

Friday, August 7, 2009

मेरी बहेना

यूँ तो दुनिया में कई सारे रिश्ते हैं, मगर इन सब रिश्तों में सबसे प्यारा और पवित्र रिश्ता है भाई-बहन का। अगर भाई अपनी बहन की आँख में एक आँसू नहीं देख सकता तो बहन भी अपने भाई के लिए कुछ भी करने को हर पल तैयार रहती है। जहाँ ये रिश्ता चाँद की चाँदनी के समान शीतलता प्रदान करता है वहीं यह सागर की गहराइयों के समान गंभीरता भी रखता है।भाई-बहन एक-दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं।
उनके बीच कभी कोई बात छिपती नहीं, वे एक-दूसरे की मन की बात बिना कहे ही जान लेते हैं। वे उसी तरह एक-दूसरे की चिंता करते हैं और एक-दूसरे का ध्यान रखते हैं। भाई-बहन के रिश्ते में कभी स्वार्थ नहीं होता, होती हैं तो बस निःस्वार्थ भावना एक-दूसरे के लिए बेहतर से बेहतर करने की इस रिश्ते में एक-दूसरे के लिए प्रेम, सम्मान, आत्मीयता, त्याग सब कुछ देखने को मिलता है।

बहन अगर खुशियों का खजाना होती है तो भाई उस खजाने की चाबी। सच कहें तो भाई के जीवन में रौनक ही बहन से होती है। वो बहन ही होती है जिसको तोहफा देने के लिए कभी वो पॉकेटमनी के पैसे इकट्ठा करता है तो कभी छोटी-सी बात पर किसी से भी लड़ पड़ता है। और वही बहन उसकी जिंदगी होती है जो उसे छेड़ती है, लडाई BHI भी कर लेती है, लेकिन उसी से सबसे ज्यादा प्यार भी करती है।एक भाई से अच्छा सलाहकार बहन के लिए कोई हो नहीं सकता।

बहन अपनी कोई गलती भाई से छिपा नहीं सकती। बता ही देती है और भाई भी उससे कुछ दुराव-छिपाव नहीं रखता। वह हमेशा उसकी मदद को तत्पर रहता है। बहन को दर्द होने पर वह आँख भाई की ही होती है जिसमें सबसे पहला आँसू भर आता है। बहन कभी कहती नहीं मगर महसूस करती है कि उसके लिए जान तक पर खेल जाने वाला उसका भाई उससे बेइंतहा प्यार करता है। और यही उनके रिश्ते की शक्ति होती है।

सचुमुच बड़ा अनोखा होता है भाई बहन का प्यार अनमोल रतन होता हे कोहिनूर से ज्यादा कीमती होता है । इश्वर की और गुरु देव की जिसके उपर इनायत होती है उसे मिलती है मासूम गुडिया सी बहेना .आँखों का नूर और दिल का सुरुर होती है प्यारी बहना । मेरी प्यारी बहेना को बहोत सारे प्यार की साथ समर्पित है यह छोटा सा प्यार भरा पैगाम और याद