Saturday, October 10, 2009

मेरी जीवन संगनी

अँधेरी‍ रात में
जगमगाता दिया हो तुम
मेरी जीवनसंगिनी
मेरी प्राणप्रिया हो तुम

थामा है तुमने
जब से मेरा हाथ
तबसे जागी है मुझमें
जीवन जीने की आस

उम्र का यह पड़ाव
नहीं लगता अब मुझे भारी
गर मिलो तुम हर जनम
तो हँस के रूखसती की
कर लूँ मैं तैयारी

साथी चले हो तुम
दो कदम साथ
तो जीवनभर साथ निभाना
तन्हाई में छोड़ अकेला मुझे
तुम कहीं चली ना जाना।

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