पिता
पिता आंसुओं और मुस्कान का वह समुच्चय, जो बेटे के दुख में रोता तो सुख में हंसता है। उसे आसमान छूता
देख अपने को कद्दावर मानता है तो राह भटकते देख कोसता है अपनी किस्मत की
बुरी लकीरों को।
पिता आंसुओं और मुस्कान का वह समुच्चय, जो बेटे के दुख में रोता तो सुख में हंसता है। उसे आसमान छूता
देख अपने को कद्दावर मानता है तो राह भटकते देख कोसता है अपनी किस्मत की
बुरी लकीरों को।
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