मनुय के हृदय की जैसी भावना होती है, उसका चेहरा वैसा ही बन जाता है।
चेहरे को देखकर पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति किस स्तर पर जी रहा है।
बचपन से आप किस स्थिति में रह रहे हैं, वैसी ही स्थिति व स्वभाव आपका बनने लगता है।
स्वभाव को बदलना ही साहसी व्यक्तिओं का काम है।
मुस्कराहट इस साहस की या़त्रा को सुगम बनाने में बड़ा आसान करती हैं।
सभी स्थितियों में आनन्द खोजने की आदत डालनी होगी, हर वस्तु के उज्जवल पक्ष को देखने का अभ्यास करना होगा।
यदि हमारा स्वभाव प्रसन्न रहने का नहीं है तो समझना चाहिए कि हम मानसिक रोगी हैं और मानसिक रोगी को इलाज की जरूरत होती है, अतः इलाज के लिए स्पष्ट शब्दों में अपने आन्तरिक मन को यह समझा देना होगा कि जीने के लिए मुस्कराहट जरूरी है।
बाहर की मुस्कराहट भले ही न हो, अन्दर ही अन्दर हमेशा यह मुस्कराहट बनी रहनी चाहिए और अन्दर ही अन्दर जानते रहना चाहिए कि दुनिया है दो दिन का मेला’.
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