Sunday, January 24, 2010

आगे बढ़ पथिक तेरी रौशन है राहें ,


दूर कहीं बुला रहीं है फ़िर वही बाहें ,

रुकना क्या अब झुकना क्या ,

पर्वत आए या दरिया या मिले काटे मुझको

.

सांसे तेज और पैर लथपथ तो क्या ,

जीवन डगर पर पद चिह्न छोड़ते जाएंगे ,

पाएंगे जो पाना है जाएँगे जहाँ जाना है ,

अब ख़ुद पे भरोसा है मुझको

.

दिल के अरमान जगे हैं हम भी आगये आगे है ,

बांटने होठों की हँसी सबको ,

रात लम्बी तो क्या और काली तो क्या ,

बुला रहा है कल का सूरज मुझको

.

रास्ता लंबा तो क्या काम ज्यादा है ,

जिंदगी छोटी है बड़ा इरादा है ,

अब बैठने की फुर्सत कहाँ है मुझको ,

कैद करके नज़ारे उनको दिल में बसाके ,

बढ़ता हूँ आगे हीं आगे करता सलाम सबको ,

पकड़ के हाथ मेरा कुछ देर साथ चलो यारो ,

पर अब रुकने के लिए ना कहो मुझको
 
पाएंगे जो पाना है जाएँगे जहाँ जाना है ,

No comments:

Post a Comment