मै करता हू अब ...तुम्हारी पूजा क्योकी तुम हो मेरा ज्ञान
अब न रहना दूर मुझसे ॥न रखना मुझे अपने से दूर दूजा जान
तुम ही मेरी सम्पूर्णता मै करू तुम्हारा ...तुम भी कर लो मेरा ध्यान
तुम ही ममता तुम ही मेरी मित्रता जीसे पा लिया
तुम न मन हो ,न अहंकार न मै पुरुष ,न तुम स्त्री
मै चेतन ...तुम चेतना अब हुवे है एकाकार मुझे धन्य कर गया
हे धन्या ...तेरा मेरे लीये ...यह निश्छल अगम अगोचर
के जैसा सात्विक अमर प्यार तुम हो मेरा
Monday, January 18, 2010
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