Monday, July 5, 2010

उसने मेरे वजूद की जागीर मांगी है......अजीब है वो , मेरे ख्वाब की ताबीर भी मांगी है.......उसके कैद में तो पहले से ही मेरा दिल है.......फिर भी न जाने क्यूँ आज उसने , एक जंजीर मांगी है.......लगता है अब वो भूल जायेगा मुझको.......क्यूँ की आज उसने एक तस्वीर भी मेरी मांगी है.....

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