Saturday, June 6, 2009

तुम मेरी श्रधा हो

मै मनु तुम ही मेरी श्रद्घा हो मै अगर तुम्हारी पूजा करू तो तुम्हें एतराज तो नही ऐसे भी चेतना का आधार पाषाण तो नही तुम्हें चाहीये ......उड़ना ......तोमै अम्बर हूँ रंग ......तो मै पतंग हूँ शब्द ....तो मै तुम्हारा मन हूँ सुगंध ...तो मै सुमन हूँ और तुम्हें चाहिए यदी संग तो मै-हरेक पल हूँ तुम अगर दृश्य हो तो मै आईना हूँ मै एक् शंख -पुकारता जिसेतुम वही -शंखा हो मै मनु तुम ही मेरी श्रद्घा हो

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