Monday, April 13, 2009

मेरे साथी

अँधेरी‍ रात में जगमगाता दिया हो तुम मेरी जीवनसंगिनी मेरी प्राणप्रिया हो तुमथामा है तुमनेजब से मेरा हाथ तबसे जागी है मुझमेंजीवन जीने की आस उम्र का यह पड़ाव नहीं लगता अब मुझे भारी गर मिलो तुम हर जनम तो हँस के रूखसती की कर लूँ मैं तैयारी साथी चले हो तुम दो कदम साथ तो जीवनभर साथ निभाना तन्हाई में छोड़ अकेला मुझे तुम कहीं चली ना जाना।

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