Saturday, June 6, 2009
कल ,मैंने तुमसे बातें की थीं तुम सुनो कि न सुनो, ये मैंने सोंचा नहीं,तुम जवाब न दोगे, ये भी मैंने सोंचा नहीं,तुम मेरे पास न थे, तुम मेरे साथ तो थे कल हमारे साथ, वक़्त भी जागा, और रूह भी जागी थी,कल मैंने तुमसे बातें की थी कितना खुशगवार मौसम था,हमारे तुम्हारे रूह के बीच,ख्यालों का काफिला था,सवालों जवाबों की, लम्बी फेहरिस्त थी,चाहतों की, लम्बी कतार थी तुम्हारे शब्द खामोश थे,तुम सुन रहे थे न, जो मैंने तुमसे कहा था,कल , मैंने तुमसे बातें की थी तुम्हें हो कि न हो याद,पर, मेरे तसव्वुर में बस गई,कल की हमारी हर बात, कल मैंने तुमसे बातें की थीं बहुत बाते की थी , तुम शरीर से मेरे साथ हो या ना हो पर दिल दिमाग से मेरे साथ हो मेरी रूह हो मेरी आत्मा हो !
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नरेश जी,
ReplyDeleteहिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है। अच्छे विचार हैं।
सादर
अमित
aapka swagat hai
ReplyDeleteggod luck. narayan narayan
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है.....
ReplyDeleteबुद्धम शरणं गच्छामि................
ReplyDeleteदो पल सुख से सोना चाहे पर नींद नही पल को आए
जी मचले हैं बेचैनी से ,रूह ना जाने क्यों अकुलाए
ज्वाला सी जलती हैं तन मे ,उम्मीद हो रही हंगामी .....
बुद्धम शरणं गच्छामि................
मन कहता हैं सब छोड़ दूँ मैं पर कैसे छुटेगा यह
लालच रोज़ बदता जाता हैं ,लगती दरिया सी तपती रेत
एक पूरी होती एक अभिलाषा ,खुद पैदा हो जाती आगामी......
बुद्धम शरणं गच्छामि................
नयनो मे शूल से चुभते हैं, सपने जो अब तक कुवारें हैं
कण से छोटा हैं ये जीवन और कर थामे सागर हमारे हैं
पागल सी घूमती रहती इस चाहत मे जिन्दगी बे-नामी........
बुद्धम शरणं गच्छामि................
ईश्वर हर लो मन से सारी, मोह माया जैसी बीमारी
लालच को दे दो एक कफ़न ,ईर्ष्या को बेबा की साडी
मैं चाहूँ बस मानव बनना ,मांगू कंठी हरि नामी ....
बुद्धम शरणं गच्छामि................
@कवि दीपक शर्मा
http://www.kavideepaksharma.co.in
http://kavideepaksharma.blogspot.com
http://kavyadhara-team.blogspot.com
Shubhkaamnayon aur snehsahit swagat hai!
ReplyDeleteshama
आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
ReplyDeleteलिखते रहिये
चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है
गार्गी
हिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है.....
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