Monday, April 13, 2009

मेरी ताकत

तू है मेरी ताकत तू है मेरा विश्वास तूने जगाई मुझमें जीने की नई आस जीवन की कठिन डगर और तेरा साथ नहीं लगता डर मुझे जब तू है मेरा हमराज फिसलन में भी नहीं लगता अब गिरने का डर थामा है तूने जो हाथ डर ने छोड़ दिया है साथ अब मुश्किलों से लड़ने को जी चाहता है अब कुछ कर गुजरने को जी चाहता है। तेरी हर हिदायत करती है मुझे हर खतरे से आगाह तेरी हर डाँट-फटकार भरती है मुझमें आत्मविश्वास चलती हूँ अकेली पर साथ होता है तू हौसलों में ऊर्जा भरता विश्वास होता है तू दोस्त जीतूँगी हर बाजी गर साथ होगा तू छा जाएँगे दुनिया पर गर हौंसला बनेगा तू अब नहीं दुनिया से डर अब किसी की नहीं फिक्र छू लेंगे हम आसमाँ हमारी मुट्ठी में होगा जहां।

1 comment:

  1. namaskar mitr,

    aapki kavitayen padhi , sab ki sab behatreen hai .. aapki kavitao me jo bhaav hai ,wo bahut hi gahre hai ..

    aapko badhai .. prem aur mitrata ke upar likhi gayi ye kavita acchi lagi ..

    dhanywad.

    meri nayi kavita " tera chale jaana " aapke pyaar aur aashirwad ki raah dekh rahi hai .. aapse nivedan hai ki padhkar mera hausala badhayen..

    http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/05/blog-post_18.html

    aapka

    Vijay

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