Friday, June 11, 2010

तमन्ना
अब हम थक गए है बच्चो..
अब इन हातो में ताकत कहा ?
इन कि लकीरे देखने तक की
...नहीं थी फुर्सत हमें..
अब एक एक लकिरो को
गिनने के सिवा बचा क्या है ?


हजारो पलो को हम ने जिया है
ख़ुशी और गमो से
इन्ही हातो ने तुम्हे थामे रखा था
हर उस मोड़ पे
जहा जहा तुम गिर गए थे ..
हर मुसीबत झेली थी तुम्हारे लिए ..
हर पल को कुर्बान किया था
तुम्हारे ख़ुशी के लिए ..

 बच्चो ,
हर बार की तरह इस महीने
और इस महीने से आगे,
पैसे न भेजना ..
तुम आ जाना..
तुम्हरे लिये आँखे बिछाये बैठा हु
एक बार गले लगाने को मन करता है ..
इस बार तुम आ जाना बेटा ..
सिर्फ तुम आ जाना

No comments:

Post a Comment