Monday, April 12, 2010

माँग लो आज मुझको मुझी से तुम,


फिर न कहना कि मौका न मिला,

लगा है मेरा आज सर्वस्व दांव पर,

लूट मची है तुम भी भर लो दामन,

प्रेम बचा है अंतर में.. है भरा ठूँस-2,

यूँ भी है अधिकार तुम्हारा मुझ पर,

लगे हैं मेले चारों तरफ लूटखोरों के,

फिर क्यों पीछे तू भी रहे आ लूट मुझे,

जी रहा हूँ जीवन तेरी आशा से रहित,

नहीं है तू.. अब लग रही बोलियाँ हैं,


मन बैठा सोच रहा कौन घडी थी वह,

मैंने जब तुझसे लगाया अपना दिल,

"तीस बरस" बाकी जीवन के तेरे बिन,

बिन तेरे अब उनको जी पाउँगा कैसे,

एक पहर भी अब जी पाना मुश्किल है,

अरसा है लम्बा अब जी पाउँगा कैसे,

माँग लो आज मुझको मुझी से तुम,

फिर न कहना कि मौका न मिला,

लगा है मेरा आज सर्वस्व दांव पर !!

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