Monday, November 16, 2009

TUM MERE HO

तुम... जिंदगी का एहसास हो...कुछ सपनों की खुशबू हो कोई फरियाद हो किस से कहूँ ‍कि तुम मेरे हो

...किसी किताब में रखा कोई सूखा फूल हो किसी गीत में रुका हुआ कोई अंतरा हो किसी सड़क पर ठहरा हुआ मोड़ हो
तुम...किसी अजनबी रिश्ते की आंच हो अनजानी धड़कन का नाम हो किसी नदी में ठहरी हुई धारा हो

तुम...किसी आँसू में रुकी हुई सिसकी हो किसी खामोशी के जज्बात हो किसी मोड़ पर टूटा हुआ हाथ हो किससे कहूँ कि तुम मेरे हो

तुम...हाँ, मेरे अपने सपनों में तुम हो हाँ, मेरी आखिरी फरियाद तुम हो हाँ, मेरी अपनी जिंदगी का एहसास हो मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूँगा कितुम मेरी चाहत का एक हिस्सा हो शायद, तुम मेरे हो तुम हाँ... तुम...हाँ, मेरे अपने सपनों में तुम हो हाँ, मेरी आखिरी फरियाद तुम हो हाँ, मेरी अपनी जिंदगी का एहसास हो कोई हाँ, तुम मेरे हो हाँ, तुम मेरे हो हाँ, तुम मेरे हो

1 comment:

  1. bahut achhe
    bahut umda
    मेरी आखिरी फरियाद तुम हो हाँ, मेरी अपनी जिंदगी का एहसास हो
    waah !

    abhinandan !

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